Hyderabad Case: बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है हर मां Agra News
खुद की सावधानी के साथ सरकार और प्रशासन से भी चाहती हैं उठाएं सख्त कदम। दैनिक जागरण कार्यालय में बुधवार को पुलिस कप्तान से साझा होगा दर्द।
आगरा, जागरण संवाददाता। गुस्सा है, रोष है, विरोध है, आंसू हैं, बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी हैं। महिलाएं अब ठोस कदम चाहती हैं। सरकार और प्रशासन से सुरक्षा के नाम पर लॉलीपॉप नहीं, बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहती हैं। अपनी बच्चियों के भविष्य को लेकर चिंतित महिलाएं डर रही हैं कि उन्हें घर से बाहर कैसे निकलने दें? घटना कहीं भी हो, उम्र कोई भी हो, पर गुस्सा और संवेदना एक है। बलात्कार के बढ़ते मामलों से परेशान महिलाएं चाहती हैं कि बेटियों की सुरक्षा को लेकर अब सरकार चेत जाए। इस बारे में जागरण ने शहर की ऐसी महिलाओं से बात की, जो दो बेटियों की मां हैं। क्या चाहती हैं यह मां सरकार और प्रशासन से...। इस बात को तो जागरण ने समझा ही, साथ ही दैनिक जागरण बुधवार दोपहर 12.30 बजे वह मंच भी उपलब्ध करा रहा है, जहां एसएसपी आगरा बबलू कुमार के सामने वह अपने मन की बात रख सकें..
समझ ही नहीं आ रहा कि समाज कहां जा रहा है। जब तक दोनों बेटी स्कूल से घर नहीं आ जातीं, जान अटकी रहती है। इनके स्कूल के समय पर किसी भी अपरिचित नंबर से फोन आता है तो जान निकल जाती है कि भगवान सब ठीक रखना। सरकार एक मां के दर्द को नहीं समझ सकती है, अगर समझ सकती तो अब तक दोषी फांसी के फंदे पर लटके होते
सुनीता शर्मा, न्यू आगरा
दोनों बेटी जब बाहर पार्क में खेलने जाती हैं तो सारा काम छोड़कर वहीं बैठी रहती हूं। किसी का भरोसा नहीं है। हर रोज होने वाली घटनाओं ने इतना डरा दिया है कि अब तो बेटियों के भविष्य को लेकर चिंता हो रही है
सुकून राय, मुगल रोड
दूसरी बेटी अभी हुई है मेरी। इतनी खुश हूं कि बता नहीं सकती, लेकिन एक डर भी दिल में है। हर समय तो हम साथ नहीं रह सकते हैं, पर शायद अब रहना पड़ेगा। सोचती हूं कि बेटियों को घर पर ही पढ़वा लूं, कम से कम मेरी नजरों के सामने तो रहेंगीं।
आरती धाकरे, बल्केश्वर
इन घटनाओं ने इतना डरा दिया है कि अब लगता है कि इन्हें घर में ही रखूं। न खेलने जाएं, न पढऩे जाएं। सरकार और प्रशासन से क्या मांगें, उन्होंने आंखें बंद कर ली हैं। अगर यही हाल रहा तो एक दिन सभी मां मिलकर इन अपराधियों को सबक सिखाएंगी
पूजा गुप्ता, दयालबाग