साइबर क्राइम का नया हथियार, UPI से खाते खाली कर रहे शातिर Agra News
एक सप्ताह में साइबर सेल में आए पांच मामले।ठगी के इस नए तरीके ने पुलिस के साथ भुगतान-खरीद के लिए यूपीआइ का इस्तेमाल करने वालों की नींद उड़ा दी है।
आगरा, यशपाल चौहान। वॉलेट या एटीएम का सीवीवी नंबर पूछकर ठगी का तरीका पुराना हो गया। साइबर शातिरों ने खाते से रकम उड़ान का नया तरीका ईजाद कर लिया है। सप्ताह भर में जिले में ऐसे पांच मामले आए हैं जिनमें शातिरों ने फोन पर ‘लिंक’ भेजकर रकम उड़ा दी। ठगी के इस नए तरीके ने पुलिस के साथ भुगतान-खरीद के लिए यूपीआइ का इस्तेमाल करने वालों की नींद उड़ा दी है।
डिजिटल पेमेंट की रफ्तार बढ़ने के साथ साइबर शातिर भी अपडेट हो रहे हैं। ठगी के लिए शातिरों ने अब यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) को हथियार बनाया है। इसका इस्तेमाल कर वे धड़ाधड़ खाते खाली कर रहे हैं। सप्ताह भर में साइबर सेल में ऐसे पांच मामले आए हैं। अब पुलिस इनकी रकम वापस कराने को माथापच्ची कर रही है। लोह करैरा निवासी प्रेम सिंह एक बैंक में कर्मचारी हैं। साइबर शातिरों ने उनके भाई की दुकान से प्लाईवुड खरीदने का झांसा देकर जाल में फंसाया। इसके बाद ‘फोन पे’ से रुपये ट्रांसफर करने के बजाय रिक्वेस्ट मनी का लिंक भेज दिया। इसको क्लिक करते ही शातिरों ने खाते से रकम निकालना शुरू कर दिया। दो खातों से पांच बार में 70 हजार रुपये निकलने के बाद प्रेम सिंह को ठगी का अहसास हुआ। तब उन्होंने साइबर सेल में शिकायत की। प्रेम सिंह सहित पांच लोग ऐसे ही साइबर शातिरों का निशाना बन चुके हैं। अभी तक पुलिस एक मामले में भी रकम वापस कराने के करीब नहीं पहुंची है।
खाते में रकम डालने को लिंक भेजना जरूरी नहीं
यूपीआइ से फोन पे, गूगल पे या पेटीएम के माध्यम से रकम ट्रांसफर करने में डेबिट, क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग की जरूरत नहीं होती। साथ ही खाते की डिटेल पता होना भी जरूरी नहीं हैं। केवल मोबाइल नंबर की जानकारी होने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके माध्यम से रकम ट्रांसफर करने के लिए कोई लिंक भेजने की भी जरूरत नहीं होती। केवल उधार रकम मांगने के लिए यह लिंक भेजने की व्यवस्था है। इसी लिंक का शातिर इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह है यूपीआइ
यह स्मार्ट फोन का एप्लीकेशन है, जो दो बैंक खातों के बीच रकम ट्रांसफर करने के काम आता है। यह सिंगल विंडो मोबाइल पेमेंट सिस्टम है। इसे इंटरनेशनल पेमेंट्स कापरेरेशन (एनपीसीआइ) ने विकसित किया है। अगस्त 2016 से यह कार्य कर रहा है। फरवरी 2019 से इससे 134 बैंक इसका उपयोग कर रही हैं। उपभोक्ता इसका लाभ ले रहे हैं।
ऐसे करते हैं ठगी
- साइबर शातिर ग्राहक बनकर दुकानदारों को फोन करते हैं
- गूगल पे, फोन पे या पेटीएम से रकम भेजने को कहते हैं।
- दुकानदार को भरोसे में लेने के लिए कहते हैं कि कुछ रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर रहे हैं। शेष किसी को लेकर भेज रहे हैं।
- सहमत होने के बाद रिक्वेस्ट मनी का लिंक दुकानदार के मोबाइल नंबर पर भेजते हैं।
- ऊपर पे और नीचे डिक्लाइन का आप्शन होता है। असावधानीवश पे पर ‘क्लिक’ हुआ तो रकम सीधे खाते में आ जाती है।
ये मामले आए सामने
- शास्त्रीपुरम निवासी व्यापारी के खाते से शातिरों ने 1.13 लाख रुपये पार कर लिए।
- सिकंदरा निवासी एक निजी कंपनी के कर्मचारी के खाते से 35 हजार भुगतान के बजाय पार कर लिए।
- विजय नगर के एक व्यापारी ने फ्रिज बिक्री को ओएलएक्स पर डिटेल अपलोड की थी। शातिरों ने सौदा कर 15 हजार रुपये पार कर लिए।
- बल्केश्वर निवासी एक युवक ने ओएलएक्स पर सोफे का विज्ञापन दिया था। शातिरों ने इसका सौदा करने के बाद उसके खाते में दो हजार रुपये निकाल लिए।
रकम पार होने पर यह करें
- बैंक के कस्टमर केयर पर तत्काल फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी दें।
- मोबाइल एप के अंदर दो विकल्प हेल्प और सपोर्ट होते हैं। हेल्प पर एक दो मिनट बाद ही रिपोर्ट देने पर ट्रांजेक्शन होल्ड हो सकता है।