Cyber Crime: अधिवक्ता की फेसबुक आइडी हैक कर रिश्तेदारों से मांगी रकम
Cyber Crime परिचित रिश्तेदारों को देश-विदेश में किए फोन और मैसेज। नोएडा के रिश्तेदार से खाते में डलवा लिए दस हजार रुपये।
आगरा, जागरण संवाददाता। साइबर शातिर ने वरिष्ठ अधिवक्ता की फेसबुक आइडी हैक कर ली। इसके बाद उनकी फ्रैंड लिस्ट में शामिल देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों को फोन और मैसेंजर से मैसेज भेजकर रकम मांगी। शातिर ने उनके एक रिश्तेदार से अपने खाते में दस हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए।
न्यू आगरा के कालिंदीपुरम मऊ रोड निवासी भाजपा नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर शैलराज सिंह ने बताया कि साइबर अपराधियों ने उनकी फेसबुक आइडी हैक कर ली। रिश्तेदारों काे मैसेज भेजकर रकम मांगने का पता चलने पर उन्होंने उक्त एकाउंट को हैक कर दिया। साइबर सेल में शिकायत कर दी। शातिरों ने उनकी दूसरी आइडी भी हैक कर ली। उससे भी परिचितों से मदद के नाम पर रकम मांग रहे हैं। रिश्तेदारों के फोन लगातार उनके पास आ रहे हैं।
वहीं दूसरे मामले में थाना न्यू आगरा में दयालबाग के पंजाबी बाग निवासी बलवीर सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। बेटे ने उनका फेसबुक एकाउंट बना दिया था। इस पर वह फेसबुक पर बहुत कम सक्रिय रहते हैं। साइबर शातिर ने इसका फायदा उठाते हुए उनकी फेसबुक आइडी हैक कर ली। इसके बाद उनके बेटे को बीमार बताते हुए लोगों को मैसेज करके आर्थिक मदद मांगने लगा। शातिर ने उनके परिचित और रिश्तेदार लगभग 100 लोगोंं को मैसेज भेजा। उनके दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले सगे संबंधी को भी आर्थिक मदद करने को मैसेज भेजा। शातिर के जाल में फंसकर नोएडा में रहने वाले रिश्ते के भांजे तेजवीर सिंह ने शातिर द्वारा दिए गए खाता संख्या में दो बार में पांच-पांच हजार रुपये डाल दिए।
उन्हें फेसबुक आइडी हैक होने का पता तब तक चला जब लोगों ने उनके पास फोन करना शुरू कर दिया। शातिर ने लोगों को पहले मैसेज भेजकर दस हजार रुपये मांगे। जब किसी ने जवाब नहीं दिया तो वह पांच और तीन हजार रुपये मांगने लगा। इससे लोगों को उनकी फेसबुक आइडी हैक होने का शक हुआ। वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले में पुलिस से शिकायत की है ।
सात महीने में तीन दर्जन मामले
लोगों की फेसबुक आइडी हैक करके उनके रिश्तेेदारों से आर्थिक मदद मांगने के सात महीने के दौरान तीन दर्जन मामले आ चुके हैं। साइबर शातिरों ने लॉकडाउन में सबसे ज्यादा आइडी हैक करने की घटनाएं की। इस दाैरान कई लोग अपनों की मदद के नाम पर ठगी के शिकार हो गए। शातिर रकम इतनी कम मांगते हैं कि लोग उसे देने से पहले ज्यादा पूछताछ नहीं करते। उन्हें यह डर रहता है कि इससे मदद मांगने वाला कहीं बुरा न मान जाए।