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अब यूपीआइ के जरिए भी सेंध लगा रहे साइबर क्रिमिनल, जानिए कैसे बच सकते हैं आप

साइबर शातिर यूपीआइ/वीपीए एकाउंट क्रियेट करके उपभोक्ता के खाते से रकम ट्रांसफर कर लेते हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 12:31 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 12:31 PM (IST)
अब यूपीआइ के जरिए भी सेंध लगा रहे साइबर क्रिमिनल, जानिए कैसे बच सकते हैं आप
अब यूपीआइ के जरिए भी सेंध लगा रहे साइबर क्रिमिनल, जानिए कैसे बच सकते हैं आप

साइबर शातिरों ने खातों से रकम निकालने का ई-वालेट की जगह अब नया तरीका खोज निकाला है। इसमें खाते से रकम निकलने की कस्टमर केयर पर शिकायत करके भी आप उन्हें रोक नहीं सकेंगे। वह आपके खाते से रकम सीधे दूसरे बैंक के खाते में ट्रांसफर कर देंगे। यूपीआइ (यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से एक लाख रुपये एक दिन में खाते से ट्रांसफर किए जा सकते हैं। आगरा में साइबर शातिरों के इस तरीके का दो लोग शिकार बन चुके हैं। पुलिस की साइबर सेल इससे निपटने के कारगर तरीके खोजने में जुटी है।

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आगरा, अली अब्बास। अभी तक साइबर शातिर एटीएम के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का कोड हासिल करके खातों से रकम ट्रांसफर करते थे। इसके लिए वह ई- वॉलेट का प्रयोग करते थे। ई- वॉलेट में रकम ट्रांसफर करके उसे अपने खाते में भेजते थे। मगर, इस तरीके से वह अधिकतम 20 हजार रुपये तक एक बार में निकाल सकते थे। मोबाइल पर खाते से रकम निकालने का मैसेज आने पर उपभोक्ता सतर्कता दिखाते हुए बैंक की कस्टमर केयर सर्विस को फोन कर दे तो क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कर दिया जाता है। इसके बाद रकम ट्रांसफर नहीं हो सकती। बैंक और पुलिस की सख्ती के चलते ई-वॉलेट से रकम दूसरे खाते में भेजने पर भी कई घंटे लगते हैं। इसमें हर बार नया ओटीपी लेना होता है।

साइबर शातिरों का नया हथियार बना यूपीआई

वर्तमान में देश के 60 से 65 बैंक यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) अपनी सर्विस प्रदान कर रहा है। इसके माध्यम से उपभोक्ता अपने खाते से किसी भी बैंक में सीधे रकम ट्रांसफर कर सकता है। एक दिन या 24 घंटे में एक लाख रुपये तक किसी भी बैंक के खाते में ट्रांसफर करने की सुविधा है। इसके लिए उपभोक्ता को बार-बार ओटीपी जनरेट नहीं करना पड़ता। यूपीआइ को नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ) संचालित करती है।

इस तरह खाते से रकम पार करते हैं साइबर शातिर

साइबर शातिर उपभोक्ता को बैंक कर्मचारी या अधिकारी बताकर संपर्क करते हैं। उसके मोबाइल नंबर पर यूपीआइ कोड भेजते हैं। इसे बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर फारवर्ड करने को कहते हैं। जाल में फंसकर उपभोक्ता यदि उक्त कोड को फारवर्ड कर देता है तो शातिर उससे वर्चुअल प्राइवेट एकाउंट (वीपीए) बना लेते हैं। यह एकाउंट यूपीआइ पर होता है। साइबर शातिर यूपीआइ/वीपीए एकाउंट क्रियेट करके उपभोक्ता के खाते से रकम ट्रांसफर कर लेते हैं।

क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करने पर भी खाते से ट्रांसफर हो जाती है रकम  

साइबर शातिरों का यह तरीका इसलिए खतरनाक है कि बैंक की कस्टमर केयर सर्विस आपका क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कर दे तो भी रकम ट्रांसफर होने से नहीं रोक सकते। क्योंकि वह ई-वॉलेट की जगह सीधे एक खाते से दूसरे खाते में भेजी जाती है। जबकि क्रेडिट कार्ड ब्लॉक होने पर ई-वॉलेट के माध्यम से ट्रांसफर होने वाली रकम को ही रोका जा सकता है। इसमें साइबर शातिरों को बार-बार ओटीपी नहीं जनरेट करना पड़ता। वह यूपीआइ/वीपीए पर एकाउंट क्रियेट कर चुका होता है।

साइबर सेल पर पहुंचे दो मामले  

साइबर शातिरों के इस नए तरीके के शिकार दो लोगों के मामले पिछले महीने साइबर सेल पहुंचे। इनमें एक सदर क्षेत्र के सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर हैं। उनके खाते से शातिरों ने कई बार में 75 हजार रुपये निकाल लिए। रुपये निकालने का मैसेज मोबाइल पर आने के बाद इंस्पेक्टर ने कस्टमर केयर पर फोन करके अपना क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करा दिया। इसके बावजूद शातिर उनके खाते से रकम निकालते रहे। उन्हें बैंक जाकर अपना खाता सीज कराना पड़ा। जबकि दूसरा मामला दयालबाग की एक महिला का है। उनके खाते से शातिरों ने 65 हजार रुपये निकाल लिए। दो दिन पहले नोएडा में एक इंजीनियर के खाते से इसी नए तरीके से सात लाख रुपये दूसरे बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

सतर्कता ही बचाव  

पुलिस साइबर सेल के मुताबिक सतर्कता की इसका एकमात्र बचाव है। किसी को भी अपने खाते से संबंधित कोई जानकारी नहीं दें। किसी के भी कहने पर मांगी गई जानकारी या अन्य सामग्री फारवर्ड नहीं करें।


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