योगी जी, इससे तो बेहतर था बेसहारा ही छोड़ देते, तड़पकर दम तोड़ रहे बेजुबान
सरकारी गोशाला में ठंड से बचाव को नहीं कराए गए पर्याप्त इंतजाम, शीतलहर ने बढ़ाई है बेजुबानों की मुश्किल।
आगरा, जेएनएन। पूरे ब्रजमंडल में सड़कों और खेतों में घूमने वाले बेसहारा गोवंश से हो रहे नुकसान को लेकर जनाक्रोश फूट पड़ा था। इसके बाद आनन-फानन में मंडलभर में गोशालाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए। इधर-उधर से हांकी गईं गायों को गोशाला में पहुंचाया गया। इनकी देखभाल का जिम्मा पालिका प्रशासन को सौंपा गया लेकिन पालिका ने अपना पल्ला झाड़ लिया। देखरेख और इंतजामों के अभाव में तड़प-तड़पकर गोवंश मर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार हैं कि व्यवस्था कराने की बजाय असलियत छिपाने में लगे हैं।
यह हाल मैनपुरी में देखने को मिल रहा है। शहर से दूर ट्रांसपोर्ट नगर में नगर पालिका द्वारा गोशाला का निर्माण कराया गया है। दूर-दराज से हांककर लाए गए लगभग एक हजार गोवंश को यहां रखा गया है लेकिन इंतजाम अधूरे हैं। एक हजार गोवंश की क्षमता वाली इस गोशाला में मौजूदा समय में 1300 से ज्यादा गोवंश हैं। सभी को खुले में छोड़ दिया गया है। एक हिस्से में टिनशेड तो लगवाया गया है लेकिन शीतलहर से बचाव के लिए व्यवस्था नहीं कराई गई है। ऐसे में अधिकांश मवेशी बीमार हैं।
पालिका के पांच कर्मियों को सौंपी है जिम्मेदारी
गोशाला की देखरेख और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए नगर पालिका के कर अधीक्षक रामअचल, सफाई निरीक्षक ओमप्रकाश, जलकल विभाग के वरुण मिश्रा के साथ अनूप सक्सेना और अरुण कुमार को जिम्मेदारी दी गई है।
लगभग आधा सैकड़ा की हो गई मौत
चेयरमैन प्रतिनिधि लक्ष्मण कुमार गुप्ता का कहना है कि व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं। क्षमता से ज्यादा गोवंशों को यहां रखवाया गया है। ऐसे में उनके चारे की दिक्कत आ रही है। अब तक लगभग आधा सैकड़ा गोवंश की मौत हो चुकी है। जिन्हें दफन कराया गया है।
'गोवंशों की देखरेख के लिए हर संभव प्रयास हो रहे हैं। रोजाना पालिका की टीम पहुंचकर जायजा लेती है। इसके अलावा पशु चिकित्सकों को भी बुलाया जाता है। सबसे बड़ी समस्या सांड़ हैं। ज्यादातर गोवंश इन्हीं के हमले में घायल हुआ है। सभी घायल मवेशियों को उपचार दिया जा रहा है'।
मनोज रस्तोगी, अधिशासी अधिकारी
नगर पालिका परिषद, मैनपुरी