Covid-19 से जंग के 14 दिन, पीडि़त परिवार बोला... क्योंकि डर के आगे जीत है
CoronaVirus आगरा में सबसे पहले संक्रमित पाये गए जूता कारोबारी परिवार के ठीक होकर लौटे सदस्यों की जुबानी।
आगरा, जागरण संवाददाता। शहर में उस दिन कोरोना को लेकर कोहराम मच गया था जब एक जूता कारोबारी का परिवार कोरोना जांच के लिए अस्पताल पहुंचा। तब से शहर कोरोना के कहर को लेकर भयभीत है, लेकिन डर के आगे जीत है। यह सूत्र वाक्य एक बार फिर सही साबित हुआ। 72 वर्षीय जूता कारोबारी, 62 वर्षीय उनकी पत्नी (हेवी वायरल लोड था, एनआइवी, पुणे में पुष्टि नहीं हुई) उनका 38 वर्षीय छोटा बेटा, 37 वर्षीय बड़े बेटे की पत्नी की नौ और 11 मार्च को दोबारा जांच हुई। दोनों में कोरोना वायरस (कोविड-19) निगेटिव आने के बाद 14 मार्च को सफदरजंग हॉस्पिटल, दिल्ली से छुट्टी दे दी गई। कोरोना वायरस से संक्रमित जूता कारोबारी के बड़े बेटे, नाती, फैक्ट्री में मैनेजर, उनकी पत्नी अभी भर्ती हैं, इनकी भी जल्दी छुट्टी हो जाएगी। इस दौरान परिवार पर क्या बीती कारोबारी के छोटे बेटे की जुबानी-
मैं, मेरे बड़े भाई और दिल्ली निवासी जीजा इटली गए थे। वे दोनों 25 फरवरी को इटली से भारत आ गए। मैं एम्सटर्डम (नीदरलैंड) होते हुए एक मार्च को आगरा पहुंचा। उसी रात दिल्ली हेल्प डेस्क से फोन आया कि आपके जीजा को कोरोना वायरस डिजीज (कोविड-19) पॉजिटिव पाया है। आप भी अपनी जांच करा लें। दो मार्च की सुबह परिवार के 13 सदस्य जिला अस्पताल पहुंच गए। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर छह सदस्यों को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। परिवार के सात अन्य सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव थी।
इस घटनाक्रम के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर मीडिया में आ रही चीन की भयावह तस्वीरें दिलो- दिमाग में छाने लगीं। दो दिन समझने में लगे। डॉक्टरों ने काफी हौसला दिया और समझाया कि घबराए नहीं। दिन निकलते गए, डर के आगे जीत मिल गई।
कपड़े धोने सीख लिए
छोटे बेटे ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमित होने पर सभी डर गए, कुछ समझ नहीं आ रहा था। परिवार के सभी छह सदस्यों को अलग अलग आइसोलेशन रूम में भर्ती किया गया। 48 घंटे घबराहट और बेचैनी में कटे। इसके बाद समझ आने लगा, कोई परेशानी नहीं हुई। रूम से बाहर नहीं निकल सकते थे, समय कैसे गुजरे, मोबाइल पर कितनी देर। रूम में ही अटैच वॉशरूम था। कपड़े भी ज्यादा नहीं थे। इन 14 दिन में कपड़े धोने सीख लिए, अब कोई डर नहीं है। इसका हौव्वा ज्यादा है।
कारोबार की नहीं परिवार की थी चिंता
जूता कारोबारी के बेटे ने बताया कि कहा गया, जिला अस्पताल जांच कराने चलना है। पूछा क्यों, तो कहा वैसे ही। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर से पूछा, उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की जांच होनी है। पसीने से नहा गया, डॉक्टर ने समझाया। अगले दिन दिल्ली पहुंच गए। सब अलग अलग कमरे में थे, फोन पर बात होती थी, चेहरा नहीं देख पा रहे थे। तरह तरह के ख्याल आते थे। उस समय कारोबार की नहीं परिवार की बहुत चिंता थी। दिन गुजरे और कोरोना का डर पूरी तरह से खत्म हो गया।
तन्हाई ने तोड़ा, डॉक्टरों ने दी हिम्मत
जूता कारोबारी के बड़े बेटे की बहू ने बताया कि घर में एक साथ रहते थे। यहां कोई नहीं, अकेले रहना पड़ा। तन्हाई ने तोड़ दिया। डॉक्टर और स्टाफ ने पूरी मदद की, दिन में तीन बार आते थे, हौसला देते थे, समझाते थे।
रात को नींद नहीं आती थी, संग बैठकर खाया खाना
जूता कारोबारी की पत्नी ने बताया कि कुछ पता ही नहीं चला, दिल्ली पहुंचा दिया, वहां एक कमरे में रहना पड़ा। सुबह बच्चों के साथ नाश्ता करते थे, यहां कमरे में अकेले। बहुत परेशानी हुई, रात को नींद नहीं आती थी, समय पास नहीं होता था। अब सब ठीक हो गया है, घर आने पर संग बैठकर खाना आया।
सामान्य दवाएं दी, सरकारी इलाज बेहतरीन
आइसोलेशन रूम में तीन बार पर्सनल प्रोटेक्शन किट पहनकर स्टाफ आता था, ब्लड प्रेशर और बुखार चेक करते थे। सामान्य फ्लू की दवा और एंटीबायोटिक दी, कोई परेशानी नहीं हुई। अस्पताल वाला खाना मिलता था।
विशेषज्ञों की राय
कोरोना वायरस से संक्रमित 87 फीसद लोगों को कोई परेशानी नहीं होती है, पांच फीसद लोग, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और 60 साल से अधिक उम्र है तो परेशानी हो सकती है।
डॉ. प्रशांत प्रकाश, नोडल अधिकारी कोरोना वायरस
कोरोना वायरस के भारत में जितने भी केस मिले हैं वे विदेश गए थे। उनके संपर्क में आए सभी लोगों को भी बीमारी नहीं हुई है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। 14 दिन तक संक्रमण का खतरा रहता है, इसलिए आइसोलेशन वार्ड में रखा गया।
डॉ. अंकुर गोयल, माइक्रोबायोलॉजिस्ट
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर लोग घबराए हुए हैं। बच्चों में संक्रमण की आशंका कम है। हाथ नहीं मिलाना है, मास्क वे ही पहनें जो संक्रमित मरीज के संपर्क में आ सकते हैं। सेनेटाइजर की जगह साबुन से हाथ धोए यह ज्यादा अच्छा है।
डॉ. निखिल चतुर्वेदी, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ