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CoronaVirus: बिना कोरोना वाले मरीजों का भी रोना कम नहीं, दर-दर भटक रहे गंभीर मरीज

एसएन और जिला अस्पताल में ओपीडी बंद होने से परेशानी। अधिकांश निजी क्लीनिक बंद नए मरीजों को नहीं दे रहे परामर्श।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2020 01:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2020 07:20 PM (IST)
CoronaVirus: बिना कोरोना वाले मरीजों का भी रोना कम नहीं, दर-दर भटक रहे गंभीर मरीज

आगरा, अजय दुबे। कोरोना संक्रमण के दौर में उन मरीजों की मुश्किल बढ़ गई है जो पहले से बीमार हैं या इन दिनों दूसरी बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं। बीमारों को फौरी राहत मिलने में भी कई-कई दिन लग जा रहे हैं।

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आठ दिन पहले भोगीपुरा निवासी एक 45 वर्षीय महिला जयश्री की तबीयत अचानक बिगड़ गई। आरोप है कि स्वजनों ने 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया लेकिन मदद नहीं मिली। किसी तरह स्वजन उन्हें लेकर एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने बिना देखे ही एक पर्चे पर तीन दवाएं लिखकर दे दी और जिला अस्पताल भेज दिया। वहां मदद से साफ इन्कार कर दिया गया। कोविड-19 के हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने के बाद किसी तरह आइएमए का वाट्सएप नंबर मिला जहां से कुछ राहत मिली। इसमें भी पांच दिन लग गए।

इसी तरह साईं की तकिया निवासी प्रीति की तबीयत बिगडऩे पर स्वजन एक से दूसरे अस्पताल भटकते रहे। किसी ने भी नहीं देखा। एसएन मेडिकल कॉलेज से पर्चे पर दवा लिखकर घर भेज दिया गया। दवा से आराम मिला, अगले दिन दोबारा तबीयत बिगड़ गई तो स्वजन फिर एसएन ले गए। वहां से जिला अस्पताल भेज दिया। जिला अस्पताल में इलाज से इन्कार कर दिया गया। अभी तबीयत ठीक नहीं हुई है। मरीजों का आरोप है कि उन्हें न निजी अस्पतालों से मदद मिल रही है और न ही एसएन व जिला अस्पताल से। ऐसे में वे इलाज के लिए भटक रहे हैं। आइएमए के हेल्प लाइन नंबर से कुछ मदद मिल रही है। मगर, उसकी सभी मरीजों को जानकारी नहीं है।

सामान्य दिनों में एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और निजी क्लीनिक की ओपीडी में 20 से 25 हजार मरीज पहुंचते थे। अब अधिकांश ओपीडी बंद हैं। पहले से बीमार मरीज पुराने पर्चे की दवाओं से ही काम चल रहा हैं।

साइड इफेक्‍ट

लॉकडाउन से पहले अब

एसएन में भर्ती मरीज 700 से 750 50 से 60

जिला अस्पताल 70 से 80 10 से 15

निजी अस्पताल 450 11 से 12 हजार 500 से 600

डायलिसिस के मरीजों को सबसे ज्यादा समस्या

गुर्दा रोगियों को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करानी होती है। इन्हें सबसे ज्यादा समस्या आ रही है। डायलिसिस करा चुके मरीजों से पहले कोरोना जांच कराने के लिए कहा जा रहा है। इसकी रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लग रहे हैं। डायलिसिस न होने से हालत बिगड़ रही है। जिले में 200 से अधिक गुर्दा मरीज हैं, जिनकी नियमित डायलिसिस हो रही है।

मोर्चे पर जमे हुए हैं ये चिकित्सक

- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जेएन टंडन क्लीनिक पर मरीजों को परामर्श दे रहे हैं। उन्हें दूर से ही देखते हैं। इनसे परामर्श शुल्क नहीं ले रहे हैं।

- नवदीप हॉस्पिटल, साकेत कॉलोनी में लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ सुनील शर्मा मरीजों को मास्क लगाकर और हाथ सेनेटाइज कराने के बाद परामर्श दे रहे हैं।

- बोन हॉस्पिटल, प्रतापपुरा में डॉ डीवी शर्मा फ्रैक्चर के मरीजों का प्लास्टर कर रहे हैं। ओटी के कपड़े पहन कर इलाज कर रहे हैं। इन्हें हर बार सेनेटाइज कर रहे हैं।

एसएन में बुखार की ओपीडी 24 घंटे

एसएन में सोमवार से 24 घंटे के लिए बुखार की ओपीडी शुरू कर दी गई है। यहां सुबह आठ से चार बजे तक 32 मरीज परामर्श लेने आए। यह ओपीडी 24 घंटे चलेगी।

क्‍या कहते हैं चिकित्‍सक

आइएमए के हेल्पलाइन नंबर पर मैसेज आने के बाद संबंधित डॉक्टर से बात कराई जा रही है। दवा न मिलने पर उस क्षेत्र के मेडिकल स्टोर की जानकारी दी जा रही है। हर रोज 40 से 50 कॉल आ रही हैं।

-डॉ पंकज नगाइच, मीडिया प्रभारी आइएमए

एक निजी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज कई दिनों तक भर्ती रही थी। इसके बाद से समस्या बढ़ गई है। निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे गंभीर मरीजों का इलाज करें।

-डॉ मुकेश वत्स सीएमओ

एसएन में गंभीर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। जिन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं है उन्हें परामर्श दिया जा रहा है। अब 24 घंटे के लिए बुखार की ओपीडी भी शुरू कर दी है।

-डॉ जीके अनेजा, प्राचार्य एसएन मेडिकल कॉलेज 


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