CoronaVirus: अपना दुख भूल बहू की अबोध निशानी को सीने से लगाए हैं दादी
कोरोना संक्रमित मृत महिला सिपाही की नौ दिन की बेटी को संभाल। परिवार के दस लोग कोरोना संदिग्ध के चलते हैं क्वारंटीन।
आगरा, जागरण संवाददाता। जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी- मेरी कहानी है। कोरोना संक्रमित मृत महिला सिपाही की नौ दिन की बेटी और उसकी विधवा दादी पर यह पंक्तियां सही साबित होती हैं। एक ने अपना सुहाग तो दूसरी ने दुनिया मेंं आने के चार दिन बाद ही मां को खो दिया। दोनों का दर्द एक सा है, दोनाें की आंखों में आंसू हैं। बस दादी को अपने दर्द का अहसास है और अबोध इस दस्तूर से अंजान है कि जीवन का मकसद तो आना और जाना है।
सिकंदरा के ईश्वर नगर अपनी ससुराल आयी महिला सिपाही ने दो मई को लेडी लॉयल में बेटी को जन्म दिया।छह मई को जुकाम और बुखार आने पर परिवार के लोग उसे अस्पताल लेकर गए। यहां उसे भर्ती नहीं किया गया, उसने कार में ही दम तोड़ दिया। इसके कुछ देर बाद ही महिला सिपाही की कोराेना जांच रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर शव कार में रखा रहा। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उसका अंतिम संस्कार किया गया। जिस दिन अबोध का जन्म हुआ, उससे कुछ घंटे पहले ही दिल्ली में उसके बाबा की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। उनका कोरोना की जांच कराके रिपोर्ट निगेटिव आने पर शव स्वजनों को दिया गया। पति के अंतिम संस्कार के बाद अपने आंसू भी नहीं पोंछ सकी थी। अगले दिन बहू का अंतिम संस्कार करना पड़ गया। महिला सिपाही अस्पताल जाते समय चार दिन की अबोध बेटी को सास की गोद में देकर गयी थी।
दादी अपना दर्द भूलकर बहू की निशानी नौ दिन की अबोध को सीने से लगाए है। अबोध को रोता देख उनकी आंखों से भी आंसू निकल पड़ते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने परिवार के लोगों की कोरोना टेस्ट को सैंपल लिए थे। इनमें दादी और नौ दिन की अबोध समेत तीन की रिपोर्ट निगेटिव आयी है। अबोध के पिता समेत दस लोग कोरोना संदिग्ध होने के चलते इंजीनियरिंग कॉलेज में क्वारंटीन किए गए हैं।
क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं से परिवार परेशान
महिला सिपाही के परिवार वालों ने क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं का आरोप लगाया। महिला सिपाही का डेढ़ साल के पुत्र को बुखार है। इसके अलावा अन्य सदस्यों को भी घबराहट, खांसी, बुखार और गले में दर्द है। परिवार के लोगों का कहना है कि समस्या बताने के बाद भी उन्हें दवा नहीं दी गयी। इसके अलावा यहां पर टायलेट आदि भी बहुत गंदे हैं। इन अव्यवस्थाओं से अच्छा है कि उन्हें होम क्वारंटीन कर दिया जाए।
तीन साल की मासूम का बुरा हाल
महिला सिपाही के देवर की तीन साल की बेटी इस घटनाक्रम से पहले अपनी ननिहाल गई थी। देवर कोरोना संदिग्ध होने के चलते इंजीनियरिंग कॉलेज में क्वारंटीन है। जबकि पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे एक गेस्ट हाउस में क्वारंटीन किया गया है। उनकी तीन साल की बेटी दोनों के बिना नहीं रहती है। वह माता-पिता के पास जाने की जिद कर रही है। पिता ने फोन पर उसे समझाने का प्रयास भी किया लेकिन वह रोने लगी।
पूर्व पार्षद ने की सेनेटाइजेशन की मांग
इलाके के पूर्व पार्षद मुकेश यादव ने प्रशासन से हॉट स्पॉट एरिया को सेनेटाइज कराने की मांग की। उनका कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के डर से लोग दहशत में है। जरूरी काम होने पर भी वह घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।