CoronaVirus ने घटाई मांग मक्का का भाव लॉक, घाटा अनलॉक
इस 750 रुपये प्रति बीघा का नुकसान झेल रहे हैं मक्का उत्पादक किसान। बीते साल पांच हजार रुपये प्रति बीघा का हुआ था फायदा कोरोना ने घटाई मांग।
आगरा, दिलीप शर्मा। मैनपुरी में मक्का उत्पादन भी कम नहीं होता। जिले में मक्का की फसल वर्ष में दो बार होती है। एक सरसों-आलू के बाद और दूसरी गेहूं की कटाई के बाद। इसमें सरसों-आलू के बाद होने वाली फसल से किसानों को ज्यादा आय की उम्मीद रहती है। क्योंकि मानसून आने पर मक्के को भूनकर खाने का सिलसिला चलता है। ऐसे में सामान्य बिक्री के साथ मक्का बेचने वाले भी खरीद करते हैं। ऐसे में गेहूं के बाद होने वाली मक्का का रकबा कुछ कम रहता है। परंतु मुनाफा का आंकड़ा ऐसा है कि मक्का की दोनों फसलों का कुल रकबा, साल-दर-साल बढ़ रहा है। इस साल भी बीते के मुकाबले तीन हजार हेक्टेयर का इजाफा हुआ है। परंतु ज्यादा मुनाफे की जिस उम्मीद में किसानों ने रकबा बढ़ाया, वह उम्मीद कोरोना संक्रमण के दौर ने ढेर कर दी हैं। बीते साल किसानों के चेहरे पर खुशी लाने वाली मक्का, इस बार नुकसान के आंसू निकाल रही है। कोरोना संक्रमण के दौर में मक्का की मांग में बड़ी गिरावट हैं, ऐसे में भाव भी धड़ाम हो गए हैं। मुनाफे की उम्मीद लगाए बैठे किसान फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। उल्टे उनको घाटे में उपज बेचनी पड़ रही है।
बीते साल से ज्यादा है रकबा
वित्तीय वर्ष - रकबा
2018-19 - 4.68 लाख बीघा
2019-20 - 5.04 लाख बीघा
बीते साल से ज्यादा हुआ उत्पादन
साल - उत्पादन
2018-19 - 133 मीट्रिक टन
2019-20 - 153 मीट्रिक टन
ये है प्रति बीघा लागत का गणित
मद - लागत
जुताई - 600 रुपये
पलेवट - 150 रुपये
दाना तीन किलो - 1800 रुपये
खाद - 1500 रुपये
ङ्क्षसचाई सात बार - 900 रुपये
नरवाई दो बार - 1200 रुपये
तुड़वाई - 1200 रुपये
थ्रेसर से कटाई - 400 रुपये
कुल लागत - 7750 रुपये
मुनाफे की है फसल
किसानों के मुताबिक एक बीघा में छह से सात कुंतल मक्का का उत्पादन हो जाता है। बीते कई साल से इसका भाव अच्छा मिल रहा था। मक्का के उत्पादन में किसान को प्रति बीघा औसतन 7750 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। एक बीघा में छह से सात कुंतल उत्पादन होता है। पिछले साल 1700 से 1800 रुपये प्रति कुंतल का भाव मिला था। इससे किसानों को करीब पांच हजार रुपये प्रति बीघा तक का शुद्ध मुनाफा हुआ था। परंतु इस बार कोरोना के चलते मांग ही नहीं निकल पा रही। भाव बुरी तरह टूट गया है। इस बार एक हजार से 1100 रुपये कुंतल तक का भाव चल रहा है। ऐसे में किसानों को मुनाफे के बजाय प्रति बीघा करीब साढ़े 700 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
नजदीकी जिलों से आते हैं खरीदार
मैनपुरी की मक्का के खरीदार नजदीकी जिलों के ही हैं। इनमें कन्नौज, एटा, इटावा, फीरोजाबाद आदि जिलों के व्यापारी शामिल हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर चलने वाले पोल्ट्री फार्म भी मक्का के बड़े खरीदारों में हैं। यह सीधे किसानों से खरीद करते हैं।
बेसहारा पशु भी बने किसानों की मुश्किल
मक्का के किसानों के लिए बेसहारा पशु भी मुश्किल साबित हुए हैं। मक्का का पेड़ औसतन छह फीट तक का होता है और इस पर फल की तरह मक्का लगती है। ऐसे में बेसहारा पशु आसानी से इसे नुकसान पहुंचा देते हैं। किसानों के मुताबिक इस बार उनको इससे भी नुकसान उठाना पड़ा है।
एक पौधे को चाहिए 65 लीटर पानी
किसानों के मुताबिक मक्का की फसल को बहुत पानी की आवश्यकता होती है। अनुमान के मुताबिक एक पौधे के लिए 65 लीटर पानी चाहिए होता है। ऐसे में इस फसल से भूजल स्तर के प्रभावित होने की आशंकाएं भी जताई जाती है। सूबे के कई ऐसे जिलों में इस फसल को करने पर प्रतिबंध हैं, जहां भूजल स्तर बहुत कम है।