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दिल्ली कूच करते वक्त मेधा पाटकर का काफिला आगरा के सैंया पर रोका गया

बुधवार शाम को मेधा पाटकर की जनाधिकार यात्रा गुना से आगरा पहुंची। आगरा के सैंया बॉर्डर पर उनके काफिले को रोक लिया गया। उनका काफिला दिल्ली जा रहा था लेकिन इससे पहले आगरा पुलिस ने उन्हें काफिले के साथ रोक लिया है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:00 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:00 PM (IST)
बुधवार शाम को मेधा पाटकर की जनाधिकार यात्रा गुना से आगरा पहुंची।

आगरा, जागरण संवाददाता। दिल्ली में दो दिवसीय किसान आंदोलन में जत्थे के साथ भाग लेने जा रहीं नर्मला बचाओ आंदोलन की अध्यक्ष मेधा पाटकर को बुधवार रात आगरा के सैंया बार्डर पर ही रोक दिया। उनके साथ चल रहे कई और किसान नेताओं को भी पुलिस ने रोक लिया। पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। रोहता नहर पर जत्थे के स्वागत में खड़े किसानों को उनको रोकने की खबर मिली तो उनमें आक्रोश व्याप्त हो गया।

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नये कृषि विधेयक के विरोध में तमाम किसान संगठनों ने दिल्ली में 26 व 27 नवंबर को मार्च निकालने का एलान किया है। इसी के लिए देश के विभिन्न कोनों से किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। समाजसेविका मेधा पाटकर भी अपने 150 किसानों के जत्थे के साथ बुधवार को ग्वालियर से रवाना हुई थी। बताया जा रहा है कि मार्कवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मध्य प्रदेश के सचिव जसविंदर सिंह ने जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जत्थे को शाम साढ़े पांच बजे रोहता नहर पहुंचना था। मगर, किसी कारण से उनके जत्थे को देर हो गई। रात लगभग आठ बजे जैसे ही उनका काफिला सैंया बार्डर पहुंचा, पुलिस ने उन्हें वहीं रोक लिया। बताया जा रहा है कि मेधा पाटकर के साथ राहुल राज, पैहलाद बैरागी, अराधना भार्गव, प्रतिभा शिंदे आदि किसान नेता भी हैं। पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी सैंया पहुंच गए। किसान नेता दिल्ली जाने की जिद पर अड़े हैं। दोनों पक्षों में बातचीत जारी है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को मध्य प्रदेश से 20 और गाड़ियों का जत्था दिल्ली के लिए जाएगा।

मेधा बोलीं किस धारा में रोका ये तो बताएं 

दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत में सामाजिक कार्यकर्ता  मेधा पाटकर ने कहा कि आखिर उन्हें किस धारा में रोका गया है। उनका आंदोलन दिल्ली में होना है न कि आगरा में। हम तो सिर्फ उत्तर प्रदेश से क्रॉस हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि हजारों− लाखाें किसान पंजाब− महाराष्ट्र से आंदोलन में भाग लेने के लिए जा चुके हैं। उन्हें तो कहीं नहीं रोका गया फिर हमें क्यों। तीन दिसंबर को केंद्र सरकार पंजाब के किसानों से बैठक करेगी लेकिन किसी तरह की बैठक में सरकार अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति को क्यों नहीं बुलाती। सरकार स्वयं पशाेपेश में है। सरकार ने खेती को भी दुकान समझ लिया है। जबकि देश की 70 से 75 फीसद आय कृषि पर ही आधारित है। मेधा पाटकर गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तिसगढ़ के किसानों का नेतृत्व कर रही हैं। 


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