LPG Price Hike: उपभोक्ताओं को लगा महंगाई का एक और झटका, घरेलू सिलेंडर में 50 रुपये की बढ़ोतरी, नई कीमत 1000 के पार
शनिवार से रसोई गैस के लिए इस्तेमाल घरेलू सिलेंडर के रेट बढ़े अब डिलीवरी होने पर 1012 रुपये में मिलेगा सिलेंडर। इससे पूर्व 22 मार्च को 50 रुपये प्रति सिलेंडर की हुई थी बढ़ोतरी। पेट्रोल डीजल थमे तो दूसरे मदों में जारी है बोझ बढ़ना। गड़बड़ा रहा घर का बजट।
आगरा, जागरण संवाददाता। विधानसभा चुनाव-2022 के बाद घरेलू सिलेंडर के रेट में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। शनिवार को आयल कंपनियों ने घरेलू सिलेंडर के रेट में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी। इससे सिलेंडर अब 1012.50 रुपये का मिलेगा। सिलेंडर के रेट में इससे पूर्व 22 मार्च को 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। तब रेट 962.50 रुपये हो गया था। वहीं व्यावसायिक सिलेंडर में फिलहाल कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। वर्तमान में सिलेंडर का रेट 2398 रुपये है।
आमतौर पर घरेलू और व्यावसायिक सिलेंडर के रेट में बढ़ोतरी माह की पहली या फिर दूसरी तारीख को होती है लेकिन इस साल उक्त तारीखों में सिलेंडर के रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। 21 मार्च को घरेलू सिलेंडर 912.50 रुपये में मिल रहा था। आयल कंपनियों ने 22 मार्च को सिलेंडर के रेट में 50 रुपये की बढ़ोतरी की। इससे सिलेंडर 962.50 रुपये पहुंच गया। सिलेंडर की कीमत बढ़ने का उपभोक्ताओं ने विरोध भी किया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रतिक्रियाएं दीं। सात मई को आयल कंपनियों ने एक बार फिर से घरेलू सिलेंडर के रेट में बढ़ोतरी कर दी। यह बढ़ोतरी 50 रुपये की है। ढाई माह में सिलेंडर की कीमत में 100 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। अब सिलेंडर 1012.50 रुपये का हो गया है। वहीं हाल ही में व्यावसायिक सिलेंडर की कीमत में 356 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। इससे सिलेंडर 2398 रुपये का हो गया था।
और भी बढ़ोतरी से नहीं इन्कार
इंडियन आयल कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि जिस तरीके से गैस के रेट में बदलाव हो रहा है। इससे आने वाले समय में घरेलू और व्यावसायिक सिलेंडर के रेट में और भी बढ़ोतरी से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
आसान नहीं होगा खर्च उठाना
शाहगंज निवासी विनीता गुप्ता ने बताया कि ढाई माह में घरेलू सिलेंडर के रेट सौ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में खर्च उठाना आसान नहीं होगा। वहीं दयालबाग की नीलम सक्सेना ने कहा कि पेट्रोल−डीजल, सरसों का तेल, फल सब्जी, स्कूल फीस, किताबें और ड्रेस, हर मद में बोझ बढ़ चुका है। नौकरीपेशा वर्ग की आमदनी उतनी ही है। घर का खर्च चला पाना अब बड़ा मुश्किल साबित हो रहा है।