और संवर रहा ताज, अब हो रहा मेहमानखाने में पच्चीकारी का संरक्षण
फिर से लगाए जा रहे गुंबद से निकले पत्थर। ताज में चल रहा काम मई तक पूरा होने की उम्मीद।
आगरा, जागरण संवाददाता। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के जर्रे- जर्रे में खूबसूरती छिपी है। स्मारक के जो हिस्से पर्यटकों की नजर में नहीं आते वहां भी आकर्षण है। मेहमानखाना के गुंबद में पच्चीकारी के निकले पत्थरों को दोबारा लगाया जा रहा है। यह काम मई तक पूरा होने की उम्मीद है।
ताजमहल में मुख्य मकबरे के दोनों ओर सुंदर भवन बने हुए हैं। पूर्वी तरफ मेहमानखाना और पश्चिमी तरफ शाही मस्जिद है। शाही मस्जिद के गुंबद से निकले पच्चीकारी के पत्थरों को पूर्व में लगाया जा चुका है। इन दिनों स्मारक में मेहमानखाना के गुंबद, बुर्जियों आदि के संरक्षण का काम किया जा रहा है। दरअसल मेहमानखाना की छत पर तीन गुंबद हैं। गुंबद पर लगे रेड सैंड स्टोन में जगह-जगह पच्चीकारी का काम हो रहा है। पच्चीकारी के डिजाइन में सफेद संगमरमर लगा है। यह पत्थर कई जगह से निकल गए थे। इन्हें इन दिनों लगाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) करा रहा है। इसके लिए गुंबद व बुर्जी के चारों ओर पाड़ बांधी गई है। स्मारक में नीचे पच्चीकारी के डिजाइन के अनुसार पत्थरों को बनाकर ऊपर ले जाया जा रहा है और उन्हें लगाया जा रहा है। इसके साथ ही उन पत्थरों को भी बदलने का काम किया जा रहा है जो कि समय के साथ खराब हो गए हैं। यह काम पूरा होने में अभी करीब एक माह का समय लगने की उम्मीद है। इस बारे में अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ताज में कंपोजिट प्लान के अनुसार संरक्षण का काम किया जा रहा है। मई तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
ताज के बाहर लगाए 16 डीएफएमडी
दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल में पर्यटकों की सुरक्षा जांच स्मारक के बाहर कराने की दिशा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) आगे बढ़ता नजर आ रहा है। उसने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) को 16 डोर फ्रेम मैटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) उपलब्ध करा दिए हैं। हालांकि, स्मारक के बाहर सुरक्षा जांच की शुरुआत टर्न स्टाइल गेट शुरू होने पर ही संभव है।
ताज पर पर्यटकों की सुरक्षा जांच पूर्वी व पश्चिमी गेट के अंदर की जाती है। यहां जगह की कमी होने से अधिक डीएफएमडी लगाना संभव नहीं है। इससे कई बार पर्यटकों को लंबी लाइनों में लगकर इंतजार करना पड़ता है। पर्यटकों की सुविधा को पर्यटन संस्थाएं लंबे समय से डीएफएमडी की संख्या बढ़ाने की मांग करती रही हैं। वहीं, स्मारक की सुरक्षा की दृष्टि से पर्यटकों की सुरक्षा जांच का काम भी स्मारक के बाहर से किया जाना है। इसके लिए एएसआइ ने पूर्वी गेट पर रेवती के बाड़े में और पश्चिमी गेट पर सती उन्निसा के मकबरे के सामने शेड आदि लगाकर व्यवस्था की थी। यहां टर्न स्टाइल गेट भी पिछले वर्ष मई में लगा दिए गए थे। बसई घाट पर सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के रास्ते के चलते अब तक टर्न स्टाइल गेट की शुरुआत नहीं हो सकी है। इस बीच एएसआइ ने सीआइएसएफ को 16 डीएफएमडी उपलब्ध करा दिए हैं। पूर्वी गेट पर रेवती के बाड़े में आठ और पश्चिमी गेट पर सती उन्निसा के मकबरे के बाहर आठ डीएफएमडी लगा दिए गए हैं। इनको चेक भी कर लिया गया है। हालांकि, इसकी शुरुआत अभी नहीं हो पाएगी। एएसआइ पहले मंदिर के लिए वैकल्पिक रास्ते को सही करेगा। इसका करीब 48 लाख रुपये का टेंडर हो चुका है। दिल्ली मुख्यालय से अनुमति का इंतजार किया जा रहा है। मई में वैकल्पिक रास्ते को सुधारने की शुरुआत हो सकती है।