आयकर विभाग की कार्रवाई में अब वाणिज्यकर भी होगा शामिल
बोगस परचेज, फर्जी रिफंड क्लेम व ई-वे बिल का मामला। महेश एडिबल ऑयल इंडस्ट्रीज में पकड़ी गई है अनियमितिता।
आगरा, जागरण संवाददाता। पूर्व राज्यमंत्री शिवकुमार राठौर व उनके सहयोगी कारोबारी और ठेकेदार पर चल रही आयकर जांच भले ही पूरी हो गई, लेकिन महेश एडिबल ऑयल की मुश्किल खत्म होती नहीं दिख रहीं। आयकर विभाग ग्र्रामीणों के नाम पर बनवाए जीएसटी व टिन नंबर और माल लाने ले जाने के लिए प्रयोग में लाए गए ई-वे बिल की जांच वाणिज्यकर विभाग को दे सकता है।
आयकर जांच में उजागर हुआ था कि महेश एडिबल ऑयल इंडस्ट्री लि. ने बोगस परचेज दिखाने के लिए गरीब ग्र्रामीणों के नाम पर जीएसटी, बैंक खाता व टिन नंबर लिया और उनसे इनवाइस और चैक पर 100 रुपये में हस्ताक्षर कराए। सैकड़ों बार साढ़े तीन से चार लाख तक की परचेज दिखाई। इसके बाद जीएसटी का रिफंड क्लेम कर उसे भी ले लिया। माल लाने के लिए ई वे बिल जेनरेट किए, लेकिन एक भी ट्रक ने टोल नाका क्रॉस नहीं किया। इतने सारे सुबूत होने के बाद अब आयकर विभाग सारे सुबूत वाणिज्य कर विभाग को भी सौंप सकता है, क्योंकि इसमें फर्जी तरीके से रिफंड क्लेम और टैक्स चोरी की भी संभावना है।
शासन को सौंपेंगे रिपोर्ट
आयकर विभाग के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि मामला सैकड़ों करोड़ का है। इसलिए शासन के संज्ञान में लाकर ही कार्रवाई की जाएगी। साथ ही रिपोर्ट भी सौंपी जाएगी। ताकि स्थानीय स्तर पर जांच को प्रभावित न किया जा सके।
शनिवार को रहा सन्नाटा
तीन दिन तक आयकर विभाग के दफ्तर में चहल-पहल रही। खुद आयकर निदेशक जांच अमरेंद्र सिंह पल-पल नजर रखे रहे। शुक्रवार शाम जांच पूरी होते ही वह कानपुर के लिए रवाना हो गए। इसके बाद शनिवार को आयकर विभाग में सन्नाटा दिखा। हालांकि शनिवार का अवकाश भी रहता है।
दिन भर होती रही चर्चा
आयकर विभाग की इतनी बड़ी कार्रवाई और सामने आईं चौंकाने वाली जानकारियों की चर्चा शहर से लेकर देहात तक होती रही। सबसे ज्यादा शमसाबाद क्षेत्र के लोगों में मामले को लेकर उत्सुकता रही। वहीं राजनीतिक पार्टियों के साथ सोशल मीडिया पर भी दिनभर मामले को लेकर चर्चा होती रही।