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Paras Hospital Agra: मौत की माकड्रिल मामले में आगरा के श्री पारस हास्पिटल को क्लीन चिट, उठ रहे जांच पर सवाल

मरीजों को आक्सीजन की कमी दिखाकर डिस्चार्ज करने पर हास्पिटल प्रशासन दोषी अलग-अलग तारीखों में हुईं 16 मरीजों की मौत। 10 मरीजों के तीमारदारों ने की थी शिकायत दर्ज हुए थे बयान डीएम बोले आने वाली हर शिकायत की होगी जांच।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 01:09 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 01:09 PM (IST)
आगरा के प्रशासन ने पारस अस्‍पताल के संचालक को क्‍लीन चिट दे दी है।

आगरा, जागरण संवाददाता। श्री पारस हास्पिटल में मौत के माकड्रिल की जांच पूरी हो गई है। 22 मरीजों की मौत के मामले में आगरा प्रशासन ने हास्पिटल को क्लीन चिट दे दी है। हालांकि मरीजों को आक्सीजन की कमी दिखाकर डिस्चार्ज करने पर हास्पिटल प्रशासन को दोषी मानते हुए कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। आक्सीजन की कमी होने को लेकर दस मरीजों के तीमारदारों ने एडीएम सिटी डा. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी को बयान दर्ज कराए थे, जबकि 16 मरीजों के मौत की आडिट चार सदस्यीय डाक्टरों की टीम ने किया। वहीं मौत के माकड्रिल का वीडियो किसने बनाया और डेढ़ माह तक वीडियो को क्यों सुरक्षित रखा। पुलिस इस मामले की जांच करेगी और आगे की कार्रवाई भी करेगी। हालांकि प्रशासन की इस क्‍लीन चिट पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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कोविड की दूसरी लहर में शहर में 25 अप्रैल से लेकर दस मई तक आक्सीजन का संकट रहा। सबसे अधिक दिक्कत 25 से 28 अप्रैल तक रही। सात जून को इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ, जिसमें 26 अप्रैल को 22 मरीजों के मौत के माकड्रिल को लेकर चर्चा की जा रही थी। इस वीडियो ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को हिलाकर रख दिया। घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया। शासन के आदेश पर डीएम प्रभु एन सिंह ने एडीएम सिटी डा. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की। हास्पिटल को सील करते हुए लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। कमेटी ने तीन बार हास्पिटल का निरीक्षण किया और दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया। कमेटी के समक्ष दस शिकायतें मिलीं जिसमें तीन सामाजिक संगठन की भी थीं। शुक्रवार को डीएम ने रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। उन्होंने बताया कि अलग-अलग तारीखों में 16 लोगों की मौत हुई है। हास्पिटल में आक्सीजन की 26 अप्रैल को कोई कमी नहीं थी।

यह है जांच रिपोर्ट - संभवी ट्रेडिंग कंपनी ने 25/26 अप्रैल की रात दो बजे हास्पिटल प्रशासन को आक्सीजन गैस की असामान्य आपूर्ति के बारे में अवगत करा दिया गया था। जिससे हास्पिटल प्रशासन समय से पूर्व आवश्यक तैयारियां कर ले।

- 25 अप्रैल को हास्पिटल 149 सिलेंडर की आपूर्ति की गई थी। बीस सिलेंडर रिजर्व में थे। 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर की आपूर्ति की गई और 15 सिलेंडर रिजर्व में थे।

- हास्पिटल प्रशासन ने अपने स्तर से अलग से सिलेंडर मंगाए गए जबकि मरीज के तीमारदार भी सिलेंडर लेकर पहुंचे।

- पांच मिनट की माकड्रिल में 22 मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। जांच में न तो आक्सीजन की आपूर्ति बंद होना पाया गया। अस्पताल में हर मरीज का व्यक्तिगत बेड साइड एनालिसिस किया गया जिसमें यह पाया गया कि 22 गंभीर मरीज भर्ती थे।

- जांच में पाया गया कि हास्पिटल के निदेशक के कक्ष में 28 अप्रैल के तीसरे पहर पांच से छह बजे वीडियो बनाया गया। वीडियो में पैसे ले लो, गाड़ी ले लो, भोपाल-वोपाल जहां से मिले ले लो, कितने पैसे चाहिए, कैसे बचें 96 जिंदगी का वार्तालाप है। प्रशासन की जांच में इसे हास्पिटल प्रशासन द्वारा संवेदनशीलता को दर्शाना बताया गया।

- वीडियो बनाने में एक मीडिया कर्मी की भूमिका की विस्तृत जांच की जा रही है। यह जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

- डेथ आडिट में 16 मरीजों की मौत में से 14 मरीज किसी न किसी कोमोर्बिड बीमारी से ग्रासित थे। मरीजों का इलाज कोविड प्रोटोकाल के अनुरूप किया गया। किसी भी मरीज की आक्सीजन बंद नहीं की गई।

श्री पारस हास्पिटल में मौत का कोई माकड्रिल नहीं हुआ है। 28 अप्रैल को निदेशक के कक्ष में वीडियो बनाया गया। इतने लंबे समय तक वीडियो को अपने पास रखा गया। एक मीडिया कर्मी की भूमिका सामने आई है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। वीडियो किसने बनाया और इतने दिनों तक क्यों अपने पास रखा गया। पुलिस इसकी जांच कर रही है। प्रभु एन सिंह, डीएम

सीएम पोर्टल पर शिकायत का फर्जी निस्‍तारण

शर्मनाक, पांच मिनट के लिए आक्सीजन बंद करने से मरीजों की मौत के आरोपों में घिरे श्री पारस हास्पिटल प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग ने बडा खेल किया। आरटीआइ कार्यकर्ता नरेश पारस द्वारा मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर प्रकरण की जांच और कार्रवाई के लिए शिकायत की गई। चार दिन बाद ही शिकायत पर लिख दिया गया निस्तारित, जांच तक नहीं की गई। श्री पारस हास्पिटल में 26 अप्रैल को पांच मिनट के लिए आक्सीजन बंद करने से 22 मरीजों के छट जाने और शरीर नीला पड जाने का वाीडियो वायरल होने के बाद मुकदमा दर्ज कराया गया। हास्पिटल सील है। एडीएम सिटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी जांच कर रही है, बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इस मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता नरेश पारस ने 13 जून को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की, इसमें श्री पारस हास्पिटल में प्रकरण की जांच कराने के बाद दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई। इस शिकायत को सीएमओ कार्यालय द्वारा अधीक्षक सीएचसी, बिचपुरी को प्रेषित कर दिया गया। उन्होंने 17 जून को जनसुनवाई पोर्ट पर अपनी रिपोर्ट लगाई, आख्या में लिखा यह शिकायत सीएचसी बिचपुरी से संबंधित नहीं है, शिकायत के निस्तारण के लिए सीएमओ आगरा से संपर्क करें दर्ज कर दिया गया। शिकायत की स्थिति के सामने निस्तारित दर्ज कर दिया गया है।

इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच चल रही है। इसलिए सीएमओ स्तर से अलग जांच की जरूरत नहीं है। मगर, जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत के निस्तारण संबंधी गडबडी किस स्तर से हुई है, यह जांच कराई जाएगी। डा आरसी पांडेय, सीएमओ

पोर्टल पर फीडबैक देकर मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच कराने के लिए लिखा है। नरेश पारस, आरटीआइ कार्यकर्ता


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