Child Marriage in Lockdown: जानिए क्यों बनाई जा रही थीं 10 बेटियां बालिका वधू
Child Marriage in Lockdown लॉकडाउन के दौरान दस नाबालिग लड़कियों की रुकवाई शादी। कर्ज से बचने को लॉकडाउन में नाबालिग बेटियों को विदा करने का निभाना चाहते थे फर्ज।
आगरा, जागरण संवाददाता। केस एक: चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर पर 16 जून को एक लड़की ने फोन किया। उसने बहरन थाना क्षेत्र के एक गांव में 15 जून की रात को दो किशोरियों की बरात आने की जानकारी दी। टीम के सदस्य मानव तस्करी निरोधक सेल के साथ गांव पहुंचे। दोनों से बातचीत करने के बाद उनके कागजात देखे। इनमें एक लड़की नाबालिग थी। उसने बताया कि वह अभी शादी करना नहीं चाहती। इसके बाद पुलिस और टीम ने उनके स्वजनो से बात करके नाबालिग की शादी नहीं करने को समझाया। परिवार के लोगाें को बताया कि बाल विवाह अपराध की श्रेणी में आता है। काउंसिलिंग के बाद स्वजन लड़की का विवाह नहीं करने को मान गए।
केस दो: शाहगंज क्षेत्र में दो महीने पहले दौरैठा इलाके में एक महीने पहले किशोरी की शादी होने की जानकारी चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन नंबर पर दी गयी। टीम ने वहां पहुुंचकर उस समय नाबालिग की शादी को रुकवा दिया। उसके स्वजन भी उस समय मान गए। मगर, कुछ दिन बाद किशोरी की शादी का दोबारा प्रयास किया। इस पर चाइल्ड लाइन टीम को पुलिस के साथ वहां जाना पड़ा। स्वजनों को मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दी तब जाकर उन्होंने बेटी के बालिग होने के बाद ही उसकी शादी करने का आश्वासन दिया। इसके बाद भी परिवार को लगातार फॉलो किया जा रहा है।
आपदा अवसर लेकर भी आती है। कुछ ऐसा ही कोराेना महामारी के दौरान किए गए लॉकडाउन में भी हुआ। इस आपदा ने कई माता-पिता को बिना कर्ज में डूबे बेटी को विदा करने का अवसर दे दिया। इस दौरान कई अभिभावकों ने नाबालिग बेटी के भी हाथ पीले करने की तैयारी कर ली। लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में आगरा एवं मथुरा में नाबालिगों की शादी के दस मामले चाइल्ड लाइन पहुंचे। यह शादियां फतेहपुर सीकरी, खंदौली, मलपुरा, जगदीशपुरा और शाहगंज आदि क्षेत्रों में होनी थीं। चाइल्ड लाइन की टीम ने मौके पर पहुंचकर इन लड़कियो को बालिका वधू बनने से बचाया।
इन किशोरियों के स्वजनों की काउंसिलिंग में एक महत्वपूर्ण कारण सब लोगों में समान था। किशोरियों के माता-पिता ने काउंसलर को बताया कि कोरोना वायरस के चलते शादी में दस से 50 लोगों की तक अनुमित है। उनके लिए यह संख्या अवसर के समान थी। वह बिना कर्ज लिए अपनी जमा पूंजी से बेटी के हाथ पीले करके उसे ससुराल विदा कर सकते थे। इससे उनके पैसों की बचत हो रही थी। कर्ज लेने पर उसे चुकाने में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता। रिश्तेदार भी शादी में न बुलाने की शिकायत नहीं करते। इस पर स्वजनों को समझाया गया कि वह बेटी के बालिग होने पर भी बिना कर्ज लिए सामान्य तरीके से विवाह कर सकते हैं। स्वजनो को कम उम्र में बेटी की शादी करने पर उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव और मानसिक तनाव के बारे में बताया गया।
बालिका वधू बनाने के ये कारण भी आए सामने
काउंसिलिंग के दौरान बालिका वधू बनाने के कई अन्य कारण भी चाइल्ड लाइन के सामने आए
-60 फीसद:अभिभावकों काे डर लगा रहता है कि बेटी कोई गलत कदम न उठा ले।
-15 फीसद:अभिभावकों के परिचित या रिश्तेदार की बेटी ने प्रेमी से शादी को परिवार से बगावत कर दी थी।
-10 फीसद:अभिभावक आर्थिक रूप से निर्बल होने के चलते लॉकडाउन में नाबालिग की बेटी शादी करना चाहते थे।
-10 फीसद:अभिभावको को नाबालिग की शादी करने पर कानूनी कार्रवाई होने का पता नहीं था।
-5 फीसद: रूढीवादी विचारों के चलते कम उम्र में ही बेटी की शादी करना चाहते थे।
आगरा और मथुरा में नाबालिग लड़कियों की शादी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।लॉकडाउन में भी दस नाबालिग ल़ड़कियों की शादी रुकवाई।अभिभावकों द्वारा लॉकडाउन में शादी करने का एक प्रमुख कारण बिना कर्ज लिए बेटी के फर्ज से विदा होना भी था।
ऋतु वर्मा,चाइल्ड लाइन समन्वयक