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कलेजे के टुकड़े की भूख इस 'मां' को बना रही आक्रामक, पढ़ें शहर का यह आतंक क्‍यों बढ़ रहा Agra News

सर्वे के अनुसार अल्फा के अलावा बच्‍चों की रक्षा और भोजन के इंतजाम को मादा करती है हमला।

By Edited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 02:23 PM (IST)
कलेजे के टुकड़े की भूख इस 'मां' को बना रही आक्रामक, पढ़ें शहर का यह आतंक क्‍यों बढ़ रहा Agra News
कलेजे के टुकड़े की भूख इस 'मां' को बना रही आक्रामक, पढ़ें शहर का यह आतंक क्‍यों बढ़ रहा Agra News

आगरा,जागरण संवाददाता। ताजनगरी में बंदरों का कुनबा चिड़चिड़ा होता जा रहा है। सबसे ज्यादा मादा बंदर हमलावर होती है। अपने बच्चों की भूख मिटाने के लिए भटक रही मां भोजन सामग्री देखते ही न केवल छीनती है, हमला भी कर देती है। सर्वे में ये बात सामने आई है कि जून से सितंबर तक प्रजनन बाद के चार माह मादा बंदर ज्यादा आक्रामक रहती है। वाइल्ड लाइफ एसओएस के कंजर्वेशन प्रोजेक्ट डायरेक्टर बैजू राज ने बताया कि एडीए और तत्कालीन कमिश्नर ने वर्ष 2015-16 में एक सर्वे कराया था। इसमें उन क्षेत्रों का सर्वे किया गया, जिनमें अधिकांश बंदरों का कुनबा जमा रहता है। सर्वे में नवजात की मां और अल्फा बंदर (ग्रुप लीडर) हमलावर दिखे। बच्चों की सुरक्षा और उनके भोजन के लिए मां हमलावर होती पाई गई। मां की नामौजूदगी में अल्फा बंदर लोगों पर हमला करता है।

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पांच सौ बंदरों की नसबंदी

वाइल्ड लाइफ एसओएस के असिस्टेंट फील्ड रिसर्चर मनोज चौरसिया ने बताया कि सर्वे के बाद बंदरों की प्रजनन दर कम करने व उनके व्यवहार पर अध्ययन के लिए पांच सौ बंदरों की नसबंदी की गई। देखा गया था कि नसबंदी के बाद बंदर आक्रामक तो नहीं हो रहा है, लेकिन ऐसे कोई लक्षण नहीं दिखे। इसके बाद विभाग ने चुप्पी साध ली। वाइल्ड लाइफ एसओएस को दूसरा प्रोजेक्ट ही नहीं दिया गया।

मथुरा में सेंटर बनाने का दिया था प्रस्ताव

घटते जंगलों की कमी से बंदर शहर का रुख कर रहे हैं। इन्हें पकड़कर सेंटर में छोड़ने का लखनऊ से निर्देश हो चुका है, लेकिन वन विभाग ने अभी तक सेंटर के लिए जमीन ही चिह्नित नहीं की है। सर्वे के बाद वाइल्ड लाइफ एसओएस ने मथुरा में जमीन बताई थी। वहां आगरा और मथुरा के बंदरों को छोड़ा जा सकता है।

ये हैं बचाव के तरीके

-बंदरों को देखकर भयभीत न हों।

-बंदर के घर में घुसने पर बाहर का रास्ता खोल दें। इसके बाद जमीन पर डंडा पटककर मारें और वहां से अलग हट जाएं।

-बंदरों के झुंड में नवजात भी हैं तो सतर्क हो जाएं और सिर को झुकाकर सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।

-बिजली के खंभों पर ग्रीस लगाकर बंदरों को चढ़ने से रोका जा सकता है।

-घर में कुत्ता पालने से भी बंदर नहीं आता है।

-बंदरों को देखकर उन पर पत्थर न मारें। यहां पर अधिक बंदर टीम के सर्वे अनुसार एसएन मेडिकल कॉलेज, शाहजहां गार्डन, राजा की मंडी, नाई की मंडी, जयपुर हाउस, हाथी घाट, कलक्ट्रेट, बेलनगंज, बीडी जैन कॉलेज, आदर्श नगर और माल गोदाम में बंदरों का अधिक खौफ है।

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