प्राचीन तोप की केमिकल क्लीनिंग पूरी, अब कुछ स्पॉट ही बचे Agra News
मुजफ्फरनगर में खेत की खोदाई में मिली थी तोप। ब्रिटिश कालीन तोप होने की बात पहले ही बता चुका है एएसआइ।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा ने मुजफ्फरनगर के खेत की खोदाई में मिली तोप की केमिकल क्लीनिंग पूरी कर ली है। अब तोप पर कुछ स्पॉट बचे हैं। इन्हें साफ करने से पूर्व यह देखा जाएगा कि उसकी जरूरत है या नहीं। एएसआइ पहले ही तोप के ब्रिटिश काल की होने की जानकारी पहले ही दे चुका है।
मुजफ्फरनगर के पुरकाजी हरिनगर गांव में खेत की खोदाई में 20 जनवरी को प्राचीन तोप मिली थी। उस पर काफी मिट्टी लगी हुई थी। तोप को मुजफ्फरनगर से एएसआइ आगरा लेकर आई थी। यहां उसे माल रोड स्थित एएसआइ के सर्किल ऑफिस में रखा गया है। यहां करीब 20 दिन तक तोप की केमिकल क्लीनिंग एएसआइ की रसायन शाखा द्वारा की गई। केमिकल क्लीनिंग कर तोप पर लगी मिट्टी व जंग साफ की जा चुकी है। उस पर कुछ जगह स्पॉट रह गए हैं। रसायन शाखा इसे साफ करने से पूर्व एएसआइ के अधिकारियों से विचार-विमर्श करेगी। जरूरत महसूस होने पर ही स्पॉट को साफ किया जाएगा। फिलहाल एएसआइ अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 24 फरवरी को प्रस्तावित ताज विजिट की तैयारियों में व्यस्त हैं। इसके बाद ही तोप के प्रिजर्वेशन की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
2.8 मीटर लंबी है तोप
एएसआइ सर्किल ऑफिस में रखी तोप 2.8 मीटर लंबी है। उसका अंदरूनी व्यास पांच इंच का है। तोप की नाल का आगे का हिस्सा टूटा हुआ है। वहीं, उसका एक हुड भी टूटा हुआ है।
यह है तोप की दास्तान
दैनिक जागरण के मुजफ्फरनगर कार्यालय के मुताबिक पुरकाजी स्थित हरिनगर में 20 जनवरी को एक किसान के खेत में यह प्राचीन तोप मिली थी।भाकियू ने तोप को सूली वाला बाग में रख दिया था। प्रशासन ने तोप की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया था। दो दिन तक भाकियू ने सूली वाला बाग से तोप को नहीं उठने दिया था। उसका कहना था कि यह तोप यहां फिरंगियों से लड़ाई की निशानी है जिसे स्मृति चिन्ह के तौर पर यहीं रखा जाना चाहिए। यह क्रांतिकारियों ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान अंग्रेजों से छीनी थी। भाकियू ने सफाई के बाद तोप को सूली वाला बाग में स्थापित करने की मांग की है। हालांकि प्रशासन इस मामले पर मौन है।