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Chandra Grahan July 2020: जानिए क्‍या होता हैं चंद्रग्रहण और उपछाया चंद्रग्रहण में अंतर

Chandra Grahan July 2020पांच जुलाई को है वर्ष 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण। इससे पहले 10 जनवरी और पांच जून को लगा था चंद्रमा में ग्रहण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 02:16 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 09:45 AM (IST)
Chandra Grahan July 2020: जानिए क्‍या होता हैं चंद्रग्रहण और उपछाया चंद्रग्रहण में अंतर
Chandra Grahan July 2020: जानिए क्‍या होता हैं चंद्रग्रहण और उपछाया चंद्रग्रहण में अंतर

आगरा, जागरण संवाददाता। 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। लेकिन इस ग्रहण को सामान्य रूप में देखा नहीं जा सकेगा। इसकी वजह यह है कि इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा के आकार में कोई फर्क नहीं आएगा यानी सामान्य दिनों की तरह ही चांद नजर आएगा। बस गौर करेंगे तो ऐसा मालूम होगा कि चांद थोड़ा मटमैला हो गया है या चांद बादलों के ऊपर गुजर रहा है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार रवि‍वार को लगने वाला चंद्रग्रहण असल में लास एंजिस में 4 जुलाई को रात 08:05 से 10:52 तक रहेगा। अनुमान है कि यह तकरीबन पौने तीन घंटे तक रहेगा। वहीं केपटाउन में यह 5 जुलाई को देखा जाएगा वहां के समयानुसार सुबह 5 बजे तक रहेगा। इस चंद्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण कहा जाता है।

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चन्द्र ग्रहण क्या होता है

चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है लेकिन चन्द्र ग्रहण को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। इसे देखने के लिए किसी तरह के चश्मे की जरुरत नहीं पड़ती।

उपछाया चंद्र ग्रहण क्या है

पंडित वैभव बताते हैं कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण। 


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