आयकर, जीएसटी रिटर्न और रिफंड भरने वाले करदाता हैं आप तो जरूर पढ़ें ये बेहद अहम खबर
आयकर और जीएसटी रिटर्न और रिफंड भरने वाले करदाता रहें सतर्क। केंद्रीय परोक्षा कर विभाग ने जारी किया अलर्ट।
आगरा, संदीप शर्मा। आयकर रिटर्न भरने की तारीख नजदीक आते ही साइबर फ्रॉड और ठग सक्रिय हो गए हैं। वह लोगों को ‘फिशिंग’ ई-मेल और मैसेज भेजकर अपने जाल में फंसा रहे हैं। आयकर विभाग ने करदाताओं को रिफंड का वादा करने वाले फर्जी ई-मेल व मैसेज के प्रति आगाह किया है। विभाग ने ट्वीट कर करदाताओं को सतर्क करते हुए ऐसे लिंक पर क्लिक न करने का सुझाव दिया है, जिसमें रिफंड या रिटर्न से जुड़ा कोई वादा किया हो।
केंद्रीय परोक्षा कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट कर करदाताओं से कहा है कि करदाताओं को जीएसटी डॉट जीओवी डॉट इन से भी टैक्स रिफंड संबंधी ईमेल भेजे जा सकते हैं। लेकिन करदाताओं को इनसे सावधान रहना चाहिए। दोनों एजेंसियों ने बताया है कि पिछले कुछ समय से वाट्सएप, ईमेल और टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से संदेश भेजे जा रहे हैं कि वे टैक्स रिफंड हासिल करने के लिए प्रक्रियाएं पूरी करें। लेकिन ये मैसेज केंद्रीय परोक्षा कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड या जीएसटी नेटवर्क से नहीं भेजे जा रहे हैं। विभागों का कहना है कि साइबर ठग कोविड 19 जैसी स्थिति में करदाताओं को भ्रम में डालकर फायदा उठाने के लिए ऐसे रिटर्न और रिफंड के फर्जी ईमेल व मैसेज भेज रहे हैं, लिहाजा वह उनके झांसे में बिल्कुल नहीं आएं। जीएसटी नेटवर्क ने भी करदाताओं से कहा है कि वे ऑनलाइन फाइलिंग इंडिया डॉट इन नामक फर्जी वेबसाइट से सकर्त रहें और वेबसाइट पर अपनी व्यक्तिगत सूचनाएं और बैंक खातों से जुड़ी गोपनीय जानकारी न दें।
आयकर विभाग ने किया ट्वीट
सीए प्रार्थना जालान ने बताया कि आयकर विभाग ने साइबर ठगी की इस कोशिश से करदाताओं को बचने के लिए सतर्क रहने का आगाह किया है। विभाग ने ट्वीट कर कहा है कि वह किसी भी तरह के रिफंड का वादा करने वाले फिशिंग ईमेल को खोलने से बचे। आयकर रिफंड की आड़ में ठग साइबर क्राइम को अंजाम दे सकते हैं। लिहाजा करदाता फिशिंग लिंक, मैसेज और ईमेल को क्लिक न करें, क्योंकि क्लिक करते ही आपकी गोपनीय जानकारी ठगों तक पहुंच जाएगी।
इसलिए सक्रिय हैं साइबर ठग
टैक्सपेयर्स को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि कोविड-19 की वजह से केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि वह तमाम करदाताओं को पहले ही रिटर्न प्रदान करेगा, ताकि संकट में उन्हें परेशानियों न हो। इसलिए उनके पांच लाख रुपये तक के लंबित रिफंड जारी किए गए। इसी का फायदा उठाने के लिए साइबर ठग भी सक्रिय हो गए।