ये क्या, सीसीटीएनएस टेस्ट में फेल हुए तो छिन सकती है थानेदारी
टेस्ट में फेल होने वालों को भेजा जाएगा पुलिस लाइन, सामान्य जानकारी के परीक्षण को होगी लिखित परीक्षा
आगरा, जागरण संवाददाता। थाने की जनरल डायरी (जीडी) ऑनलाइन लिखी जा रही हैं। विवेचनाएं भी लैपटॉप पर हो रही हैं। मगर, कुछ थानेदारों का हाथ ऑनलाइन पुलिसिंग में तंग है। उन्हें रोजमर्रा के काम की भी जानकारी नहीं है। ऐसे थानेदारों को अब पुलिस लाइन का रास्ता देखना पड़ेगा। क्योंकि जल्द ही एसएसपी अमित पाठक क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्किंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) का टेस्ट लेने जा रहे हैं। इसमें फेल होने वाले थाना प्रभारियों को पुलिस लाइन भेजा जाएगा।
पुलिस को हाईटेक बनाने और सूचनाओं को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए सीसीटीएनएस शुरू किया गया था। पुलिसिंग को आसान बनाने के लिए यह बहुत उपयोगी है। इससे सभी थानों के जुड़ने के बाद ऑनलाइन जीडी लिखे जाने की व्यवस्था शुरू हो गई। अब कई विवेचक ऑनलाइन विवेचना भी कर रहे हैं। मगर, अभी बहुत से थानेदार ऐसे हैं जिन्हें सीसीटीएनएस के बारे में जानकारी ही नहीं है। कंप्यूटर ऑपरेटर उनके हिस्से की जिम्मेदारी खुद निभा रहे हैं। ऐसे थानेदारों को चिह्नित करने के लिए एसएसपी ने नया तरीका अपनाया है। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि जल्द ही थाना प्रभारियों का सीसीटीएनएस को लेकर टेस्ट लिया जाएगा। इसमें रोज काम आने वाले विकल्पों के बारे में पूछा जाएगा, जो थानेदारों के लिए उपयोगी हैं। इसमें फेल होने वालों को पुलिस लाइन भेजा जाएगा। अच्छी जानकारी रखने वालों को प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
सीसीटीएनएस के उपयोग
- हर दिन थानेदारों को जीडी और एफआइआर का एप्रूवल करना होता है।
-किसी भी अपराधी द्वारा बेल एप्लीकेशन पर थाने से रिपोर्ट मांगी जाती है। इसके लिए क्रिमिनल हिस्ट्री की जरूरत होती है। सीसीटीएनएस पर स्टेट लेबल सर्च से पूरे प्रदेश के थानों का रिकार्ड मिल जाता है।
- घटनास्थल के निरीक्षण का एक प्रपत्र ऑनलाइन भरा जाता है। इसको अधिकतर थानों में आधा अधूरा भरा जा रहा है।
-पब्लिक यूटिलिटी के विकल्प में सत्यापन और शिकायत ऑन लाइन आती हैं। कई थानों में इसे खोलकर नहीं देखा जाता।
- इंन्वेस्टीगेशन सुपरवीजन हर दिन करना होता है। मगर, इसमें भी थानेदार लापरवाही बरतते हैं।
- किसी अपराधी के पकड़े जाने पर थानेदार सीसीटीएनएस के माध्यम से यह जान सकता है कि उसके खिलाफ देशभर में कितने मुकदमे हैं। इसके बाद भी थानेदार वायरलेस कर मुंशियों के भरोसे हैं।