CBSE की नई तैयारी के बारे में जान लें, शिक्षा की गुणवत्ता के लिए उठने जा रहा ये कदम Agra News
कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या सीमित करेगा सीबीएसई।
आगरा, प्रभजोत कौर। सीबीएसई बोर्ड का शायद ही कोई स्कूल हो जहां एक ही कक्षा के कम से कम पांच सेक्शन न हों। हर सेक्शन में विद्यार्थियों की संख्या 50 से कम नहीं होगी। शिक्षक की संख्या एक या दो ही मिलेगी। ऐसे में कक्षा के सभी बच्चों पर शिक्षक का ध्यान रह पाना मुश्किल है। वे पढ़ाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही करेंगे। इसी समस्या के समाधान पर सीबीएसई काम कर रहा है। नए शिक्षा पाठ्यक्रम में छात्र-शिक्षक अनुपात को दुरुस्त करने का प्रस्ताव बोर्ड के सामने रखा गया है।
पिछले कुछ सालों में सीबीएसई ने विद्यार्थियों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। दसवीं में ग्रेडिंग सिस्टम, परीक्षाओं का दबाव कम करने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या में इजाफा, गणित को दो हिस्सों में बांटना आदि कदम विद्यार्थियों के हित में उठाए गए हैं। ऐसे ही शिक्षकों के लिए सीबीएसई ने हेल्प बुक तैयार की है, जिसमें शिक्षकों के हर सवाल का जवाब है। अब सीबीएसई एक कदम और आगे बढऩा चाहता है। सूत्रों के अनुसार आने वाले नए पाठ्यक्रम में हर क्लास में विद्यार्थियों की संख्या पर भी सीबीएसई लगाम लगाएगा। स्कूलों को क्लास के हर सेक्शन में विद्यार्थियों को संख्या को सीमित करना होगा।
वर्तमान स्थिति चिंताजनक
सीबीएसई के शहर में 100 से ज्यादा छोटे-बड़े स्कूल हैं। हर स्कूल में एक क्लास के कम से कम पांच सेक्शन हैं। हर सेक्शन में विद्यार्थियों की संख्या 50 से कम नहीं है। ऐसे में हर 50 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति है। यह छात्र-शिक्षक अनुपात नियम के बिल्कुल उलट है। इस तरह की व्यवस्था से बच्चों पर शिक्षक पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं। कक्षा में बच्चे विषय को कितनी गंभीरता से समझ पा रहे हैं, कितना नहीं, इसकी जानकारी भी शिक्षक नहीं ले पाते हैं।
क्या है छात्र-शिक्षक अनुपात?
बोर्ड की ओर से किए जाने वाले बदलावों के पीछे कारण शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना है। बोर्ड का उद्देश्य है कि हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक हो। इस नियम से शिक्षकों पर ज्यादा बच्चों का दबाव नहीं होगा। हर बच्चा शिक्षक की नजर में रहेगा।
बढ़ाने होंगे सेक्शन और शिक्षक
नए अध्यादेश के आने पर सीबीएसई स्कूलों को कड़ाई से इसका पालन करना होगा। विद्यार्थियों की संख्या कम करने के लिए सेक्शन की संख्या बढ़ानी होगी। साथ ही शिक्षकों की संख्या भी बढ़ानी होगी, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात नियमानुसार हो जाए।
इनका क्या है कहना
बोर्ड विद्यार्थियों की संख्या को सीमित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। आने वाले नए पाठ्यक्रम में यह आदेश भी शामिल कर दिया जाएगा। कुछ स्कूल जैसे डीपीएस आदि इस नियम को काफी लंबे समय से फॉलो कर रहे हैं। कुछ स्कूलों ने संबद्धता दो सेक्शन की ली है, लेकिन वे अपने यहां चार से पांच सेक्शन हर क्लास के चला रहे हैं। इस तरह के स्कूलों पर नकेल डालने के लिए ही सीबीएसई यह कदम उठाने जा रहा है।
- राजपाल सिंह सोलंकी, सचिव, नप्सा
जीडी गोयंका में पिछले 25 सालों से हर सेक्शन में 30 बच्चे ही होते हैं। प्री नर्सरी में सिर्फ 18 बच्चे होते हैं। हम इस नए आदेश के लिए तैयार हैं। बोर्ड इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है। नए पाठ्यक्रम में इस आदेश के बाद सीबीएसई से संबंद्ध स्कूलों को इसका पालन करना होगा।
- पुनीत वशिष्ठ, प्रिंसीपल, जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल व मेंबर,सीबीएसई ट्रेनिंग्स