Tele counselling से दूर हो रहा परीक्षा का डर, परीक्षार्थी लगा रहे सवालों की झड़ी Agra News
परीक्षा के दबाव से परीक्षार्थी हो रहे नर्वस। सीबीएसई द्वारा शुरू की गई टेली काउंसलिंग। स्कूलों में भी विद्यार्थियों की शंकाएं हो रहीं दूर।
आगरा, जागरण संवाददाता। सीबीएसई द्वारा बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए एक फरवरी से टेली काउंसलिंग की सुविधा शुरू की गई है। परीक्षा के दबाव को कम करने के लिए शुरू की गई इस सुविधा के लिए देश भर के 93 प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ-साथ शहर में स्कूल अपने स्तर पर भी परीक्षार्थियों की काउंसलिंग करवा रहे हैं, जिससे वे बिना दबाव के परीक्षाएं दे सकें।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षार्थियों के लिए शुरू की गई नि:शुल्क मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग 30 मार्च तक चलेगी। बोर्ड ऑडियो वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों की काउंसिलिंग कर रहा है। लाइव टेली काउंसिलिंग के जरिए सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक विद्यार्थियों के साथ ही अभिभावकों के प्रश्नों का जवाब दिया जाता है।
स्कूल भी करा रहे काउंसिलिंग
बोर्ड की टेली काउंसिलिंग के साथ ही कुछ स्कूलों में भी परीक्षार्थियों की काउंसिलिंग के लिए काउंसलर रखे गए हैं। शिक्षकों से भी परीक्षार्थी अपनी शंकाएं और दबाव को कम करने के लिए समाधान पूछ रहे हैं। काउंसलर डा.असिया कैफ बताती हैं कि इस समय बच्चों में एग्जाम एंजायटी बहुत होती है। जल्दी नर्वस भी हो जाते हैं। हम बच्चों को रिलैक्स करने के लिए ध्यान लगवाते हैं।
सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न
- एग्जाम से पहले मैं नर्वस ज्यादा हो रहा हूं। क्या करूं?
-स्कूल टेस्ट में मुझसे ज्यादा मेरे दोस्त के नंबर आए हैं, मैं कैसे कवर करूं?
-हमसे सिर्फ पढऩे को कहा जाता है, 24 घंटे कैसे पढ़ सकते हैं?
- सब कहते हैं कि रात में नींद पूरी करो, लेकिन मुझे रात के सन्नाटे में ही याद होता है, क्या करूं?
- पूरा सिलेबस तैयार करना है, समय कम है। बहुत ज्यादा टेंशन में हूं।
- पैटर्न बदल गया है, आसान तो हुआ है, पर कंफ्यूजन बहुत है।
- एग्जाम के बीच में गैप कम है, रिवीजन का समय नहीं है।
- प्री-बोर्ड्स काफी कठिन है, क्या ऐसा ही पेपर बोर्ड में भी आएगा?
एग्जाम एंजायटी और दबाव को कम करने के लिए कई तरह की एक्सरसाइज करवाते हैं। उन्हें नोट्स बना कर देते हैं, जिससे उनकी शंकाएं दूर हों और वे आराम से परीक्षा दे सकें।
- निधि गुरबक्शानी, काउंसलर