शातिरों ने अपनाया हथकंडा , लॉकडाउन में जाने को बना डाला फर्जी E-Paas
शाहगंज के युवक को ट्रैवल का काम करने वाले युवकों ने दिया था फर्जी कोविड पास। निरस्त कराने को जाने पर खुला था फर्जीवाड़ा जांच के बाद दर्ज कराई रिपोर्ट।
आगरा, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन में फर्जी ई-पास बनाकर लोगों को भेजने का मामला सामने आया था। प्रशासन द्वारा इसकी जांच कराने के बाद मामला सही पाए जाने पर शाहगंज थाने में दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनाें आरोपित टूर्स एंड ट्रैवल का काम करते हैं।
शाहगंज के अर्जुन नगर निवासी रोहित शर्मा ट्रैवल एजेंसी में अपनी कार चलाते हैं। उक्त ट्रैवल एजेंसी दीपक चाहर और देवेंद्र चाहर चलाते हैं । उन्होंने 18 मई को रोहित को ई-पास देकर मुंबई जाने के लिए कहा। रोहित को बताया कि दाे लोगों से ज्यादा जाएंगे।
रोहित ने इसका विराेध किया। उसका कहना था गाड़ी में छह लोगों को ले जाने के लिए कहा जा रहा था। जबकि पास पांच लोगों का था। रोहित का आरोप है कि इस पर देवेंद्र और दीपक ने कुछ ही देर में छह लोगों का पास बनवाकर उसे दे दिया। इससे रोहित को शक हो गया। वह पास को निरस्त कराने के लिए कलक्ट्रेट कार्यालय लेकर गया। वहां पास की जांच की गई तो वह फर्जी निकला। इसके बाद ट्रैवल एजेंसी मालिक देवेंद्र और दीपक के खिलाफ प्रशासन ने जांच कराई। इसमें फर्जी पास जारी करने का दोनों को आरोपित पाया गया।
जांच रिपोर्ट के आधार पर देवेंद्र और दीपक के खिलाफ शाहगंज थाने में धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने का मुकदमा दर्ज किया गया है।इंस्पेक्टर शाहगंज सत्येंद्र सिंह राघव के अनुसार आरोपितों की तलाश की जा रही है।
शिकायत करने पर राेहित पर हुआ था हमला
फर्जी पास की शिकायत करके उसका पर्दाफाश करने वाले चालक राेहित पर एक सप्ताह पहले अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया था।इसमें पुलिस ने घायल का मेडिकल करानेे के बाद अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।
रेस्टोरेंट में निवेश के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी
रेस्टोरेंट में निवेश के नाम पर कई लोग धोखाधड़ी के शिकार हो गए। तकादा करने पर दूसरे पक्ष ने रकम लौटाने से मना कर दिया।उसे धमकी देकर भगा दिया। पीड़ितों द्वारा इसकी शिकायत एसएसपी से करने पर उन्होने जांच के निर्देश दिए हैं। पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लेने पर पीड़ित ने अधिकारियों से गुहार लगाई है। आवास विकास कॉलोनी निवासी दाऊदयाल के अनुसार उनके परिचित ने रेस्टोरेंट साझीदारी में रेस्टोरेंट खोलने की कहा।इसमें निवेश करने पर मोटा मुनाफा बताया। इस पर उन्होंने अपनी और रिश्तेदारों की लाखों रुपये की जमा पूंजी लगा दी। एक साल पहले किराए की जगह पर रेस्टोरेंट खोलकर चालू हो गया। इस बीच दूसरे पक्ष ने रेस्टोरेंट के किराए का इकरारनामा अपने नाम से करा लिया।दाऊदयाल के अनुसार उन्हें इसका पता चला तो विरोध किया। क्योंकि साझीदार होने के नाते इकरारनामा दोनों के नाम से होना चाहिए था।यहीं से विवाद शुरू हुआ।उन्होंने अपनी रकम लौटाने की कहा।साझीदार ने रकम लौटाने से मना कर दिया। उन्हाेंने साझीदार द्वारा दिए गए चेक काे बैंक में लगाया तो पता चला कि उस पर फर्जी हस्ताक्षर हैं। मामले की शिकायत उन्होने एसएसपी के यहां की। वहां से सिकंदरा थाने को जांच के निर्देश दिए गए हैं।