Move to Jagran APP

बजट पर परिचर्चा में बोले बुद्धिजीवी, अन्नदाता पर बरसे कृपा, शिक्षा पर हो फोकस

-दैनिक जागरण कार्यालय में हुई बजट पर परिचर्चा, जुटे शहरवासी, पीपीपी मॉडल से शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में जताई सुधार की आस

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 10:00 AM (IST)
बजट पर परिचर्चा में बोले बुद्धिजीवी, अन्नदाता पर बरसे कृपा, शिक्षा पर हो फोकस

आगरा, जागरण संवाददाता। कभी बंपर पैदावार तो कभी प्रकृति की मार से किसान सिसक रहे हैं। ऋण के बोझ तले जिंदगी से आजिज आ वे आत्महत्या कर रहे हैं। बजट में सरकार को अन्नदाता पर कृपा बरसानी चाहिए। विकसित राष्ट्र के लिए शिक्षा और चिकित्सा पर विशेष ध्यान सरकार को देना चाहिए। दैनिक जागरण कार्यालय में गुरुवार को बजट पर हुई परिचर्चा में किसानों, सीए, कर अधिवक्ता, स्कूल संचालकों ने अन्नदाता की पीड़ा हरने के साथ ही शिक्षा पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाने पर सुधार की उम्मीद जताई।

loksabha election banner

कृषि

-किसानों को आलू के साथ खेत में अन्य फसलें भी बोनी चाहिए।

-खेती व्यवस्थित ढंग से की जाए। इससे किसानों को उचित लाभ मिले और सरकार को सही आंकड़े।

-भूगर्भ जल स्तर नीचे जाने से सिंचाई की दिक्कत बढ़ती जा रही है। यमुना पर बैराज इसका समाधान है। बैराज बनेगा तो सिंचाई की सुविधा आसान होगी। जल स्रोतों पर ध्यान दिया जाए।

-किसानों को उपज के मूल्य निर्धारण का अधिकार मिले।

-एपीएमसी मार्केट एक्ट में परिवर्तन हो।

-किसानों के लिए मंडी समिति में उचित इंतजाम किए जाएं, जिससे उन्हें परेशानी न हो।

-किसान क्रेडिट कार्ड पर चार फीसद की बजाय नौ फीसद ब्याज पर ऋण मिल रहा है। इसे ब्याज मुक्त किया जाए।

-फूड प्रोसेसिंग या आलू प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाए।

-तेलंगाना के समान पहले किसानों का ऋण माफ किया जाए और फिर 30 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाए।

-किसानों और सरकार के बीच के बिचौलियों को हटाया जाए।

शिक्षा

-एजूकेशनल लोन को चुकाने की अवधि सात-आठ वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष की जाए।

-बजट में शिक्षा के लिए आवंटित धनराशि बढ़ाई जाए।

-बजट में शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान हों।

-सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन तो सही है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। इस पर ध्यान दिया जाए।

-सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से लिंक कर गुणवत्तापरक शिक्षा दी जाए।

-आठवीं कक्षा तक हर देशवासी शिक्षा प्राप्त कर सके, इस पर बजट में ध्यान दिया जाए।

स्वास्थ्य

-आयुष्मान भारत योजना में जरूरतमंदों के कार्ड बनें, न कि राजनीतिक सिफारिशों वालों के।

-आधार कार्ड से स्वास्थ्य योजनाओं को लिंक कर दिया जाए।

-स्वस्थ राष्ट्र ही आगे बढ़ सकता है, इसीलिए स्वास्थ्य सुविधाओं पर बजट में अधिक धनराशि आवंटित हो।

-सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं, जिससे लोगों का विश्वास एक बार फिर उन पर हो सके।

-हाईवे बनने के साथ हादसे बढ़ रहे हैं, लेकिन ट्रॉमा सेंटर कम हैं। प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर ट्रॉमा सेंटर बनाए जाएं।

इधर भी ध्यान दो सरकार

-अर्थव्यवस्था में सुधार को उत्पादन बढ़ाना जरूरी है।

-करों से राहत देने के बजाय जनसामान्य की आमदनी बढ़ाने के साधनों पर ध्यान दिया जाए।

-कृषि ऋण बिल्कुल माफ नहीं होना चाहिए। ऐसा करने पर टैक्स बढ़ाने पड़ेंगे, जिससे किसानों की फसल की लागत बढ़ेगी।

-सब्सिडी देना बंद किया जाए और लोगों को सक्षम बनाया जाए।

-इन्कम टैक्स ट्रिब्यूनल में 10 हजार रुपये डिपोजिट फीस लगती है। इसे खत्म किया जाए।

-स्टार्ट अप के समय को तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष किया जाए।

-संसाधनों का उचित दोहन किया जाए, जिससे अच्छा लाभ मिले।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.