Vocal for Local: आगरा का ब्रश, बाजार से कर देगा चीन का सफाया
Vocal for Local हर दिन हो रहा करीब साढ़े सात लाख ब्रश का उत्पादन। चीन को टक्कर देते हुए बनाए जा रहे सस्ते ब्रश। आगरा में करीब 40 हजार लोग ब्रश उत्पादन से जुड़े हुए हैं। कई घरों में यह कार्य हो रहा है।
आगरा, गौरव भारद्वाज। लॉकडाउन में ठप हुए उद्योग-धंधे अभी पटरी पर आने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं ब्रश उद्योग रफ्तार पकड़ चुका है। कोरोना काल में लोगों का सफाई के प्रति बढ़ा रुझान और चीनी माल के आयात पर रोक ने इस उद्योग को संजीवनी दे दी है। अनलॉक में कारोबारियों को देश-विदेश से भरपूर ऑर्डर मिल रहा है तो कारीगर और मजदूरों को रोजगार।
कोरोना काल में साफ-सफाई पर लोगों का खास जोर होने के चलते टॉयलेट ब्रश, वाइपर, प्लास्टिक झाडू की डिमांड बढ़ी है। इसका फायदा यहां के ब्रश उद्योग को मिला है। ब्रश कारोबारी रजनीश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन में कारोबार बंद रहा। ऐसे में दैनिक इस्तेमाल में आने वाले ब्रश, वाइपर की सप्लाई नहीं हो पाई। अनलॉक होने पर ऑर्डर आने लगे, जिससे उत्पादन भी पूरी क्षमता से शुरू हो गया। तीन माह में ब्रश उद्योग पुरानी रफ्तार पर लौट आया है।
हर दिन बन रहे साढ़े सात लाख ब्रश
ताजनगरी में करीब 250 छोटी-बड़ी ब्रश बनाने वाली इकाई हैं। औसतन एक इकाई में प्रतिदिन तीन हजार ब्रश बनाए जाते हैं। ऐसे में एक दिन में करीब साढ़े सात लाख ब्रश तैयार होते हैं। ब्रश कारोबारी शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि यहां के ब्रश देश के साथ ही वर्मा, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान भी जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक ब्रश का सालाना कारोबार करीब 500 करोड़ रुपये का है।
40 हजार लोगों को मिल रहा रोजगार
ब्रश बनाने का काम घर-घर में कुटीर उद्योग के तौर पर किया जा रहा है। इस इंडस्ट्री ने करीब 40 हजार लोगों को रोजगार दिया हुआ है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। कोई हैंडल में छेद करता है तो कोई हैंडल में तार भरने का काम कर रहा है। ताजनगरी के नुनिहाई, प्रकाश नगर, नरायच, टेढ़ी बगिया, किशनलाल का नगला, नगला छउआ में घर-घर में ब्रश बनाने का काम होता है। घर पर काम करके लोग प्रतिदिन 300 रुपये तक कमा रहे हैं।
चीन को भी दी मात
ब्रश कारोबारी अरुण जैन ने बताया कि यहां पर ब्रश बनाने का काम तो बहुत पहले से हो रहा है, लेकिन चाइना के सस्ते ब्रश के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। चार-पांच साल पहले कारोबारियों ने चीन से ब्रश बनाने की मशीन मंगानी शुरू कर दीं। चाइनीज मशीन से घंटों में होने वाला काम जल्दी होने लगा, लागत भी घट गई। वर्तमान में ब्रश बाजार में 80 फीसद आगरा का माल है। चार साल में बाजार से चीनी ब्रश साफ हो गए हैं।