शस्त्रों के शहर में बढ़ा 'शास्त्रों' के प्रति रुझान, जानिये कैसे बदल रही इस शहर की पहचान
पिछले तीन सालों में बड़ी संख्या में लोगों ने की पुस्तकों की खरीद। प्रकाशकों की भी जिले को लेकर बदल गई सोच।
आगरा (जेएनएन)। अपराध के लिए कुख्यात एटा जिले में पिछले कुछ समय से बदलाव की बयार बह रही है। लोगों में शस्त्र की जगह 'शास्त्रों' के प्रति झुकाव बढ़ा है। ऐसे में प्रकाशक भी जिले को महत्व देने लगे हैं। सात दिसंबर में होने वाले पुस्तक मेले में इसकी झलक देखने को मिलेगी।
आजादी के पहले से शहर में मेहता पुस्तकालय जैसे कई केंद्र हैं। पिछले तीन दशक में इन पुस्तकालयों से लोग दूर होते गए। पुस्तकें पढऩे की आदत भी नहीं रही। आइटी की पहुंच ने भी इनको बेरौनक किया। ऐसे में स्वामी विवेकानंद वृद्धाश्रम समिति ने युवाओं को पुस्तकों के समीप लाने का काम किया है।
वर्ष 2014 तक स्थिति यह थी कि मुख्यालय के दो पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या न के बराबर रही। दूसरी ओर शहर के कुछ पुस्तक प्रेमी दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले मेले से बड़ी संख्या में पुस्तकें लाते थे। उनकी सोच व स्वामी विवेकानंद वृद्धाश्रम समिति के सचिव संजीव कुमार के प्रयासों ने एटा में पुस्तक मेला की शुरुआत की। पिछले तीन वर्षों से लग रहे मेला का प्रयास सार्थक भी रहा है।
एटा का नाम सुन बमुश्किल हुए तैयार
वर्ष 2015 के पहले मेला में एटा का नाम सुनकर बमुश्किल प्रकाशक आए। पुस्तक मेला में लोग उमड़ पड़े। यह देख प्रकाशकों की सोच बदली। हालांकि बिक्री ज्यादा नहीं हुई। वर्ष 2016 व 2017 में 20 हजार से ज्यादा विद्यार्थी व लोग मेले में पहुंचे।
यह प्रकाशक हुए आकर्षित
नेशनल बुक ट्रस्ट, राजकमल, वाणी, प्रभात, डायमंड, उपकार, एकलव्य, साहित्य मंडल, राजपाल, राधाकृष्ण, जन विज्ञान जत्था, नवारुण आदि।