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नेत्रों से दिव्यांग कर रहा था साइबर ठगी, भाई समेत गिरफ्तार

मथुरा के थाना शेरगढ़ के रहने वाले हैं आरोपित बैंक खाते में दर्जनों लोगों से जमा कराई रकम

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 10:30 PM (IST)
नेत्रों से दिव्यांग कर रहा था साइबर ठगी, भाई समेत गिरफ्तार
नेत्रों से दिव्यांग कर रहा था साइबर ठगी, भाई समेत गिरफ्तार

आगरा, जागरण संवाददाता। नेत्रों से दिव्यांग युवक साथियों के साथ साइबर ठगी कर रहा था। अब तक करीब 50 लोगों को अपना शिकार बना चुका था। रेंज साइबर थाने ने गुरुवार को मथुरा के शेरगढ़ से दिव्यांग को उसके भाई समेत गिरफ्तार कर लिया।

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रामपुर के घेर मीर खां जेल रोड निवासी शिवराज सिंह सेंगर, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति व शोषित वर्ग उत्थान समिति के पदाधिकारी हैं। पिछले वर्ष सितंबर में साइबर शातिरों ने उन्हें फोन कर रोजगार के नाम पर दस हजार रुपये अपने खाते में जमा करा लिए थे। शिवराज ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसकी शिकायत की थी। वहां से उत्तर प्रदेश साइबर रेंज मुख्यालय को जांच के निर्देश दिए गए।

इंस्पेक्टर रेंज साइबर थाना राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित तौफीक और उसका भाई शहजाद मथुरा के थाना शेरगढ़ के गांव बाबूगढ़ के रहने वाले हैं। आरोपित तौफीक नेत्रों से दिव्यांग है। उनसे चार मोबाइल, आठ एटीएम, पेन व आधार कार्ड आदि बरामद हुए हैं। गैंग में शामिल शाहरूख, मौसम और पप्पी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है।

आरोपितों ने पुलिस को बताया कि शाहरूख, मौसम और पप्पी इंटरनेट मीडिया के द्वारा लोगों के मोबाइल नंबर तलाशते थे। इसके बाद यमुना के खादर में बैठकर तौफीक लोगों को फोन कर नौकरी दिलाने, घर बैठे रोजगार दिलवाने आदि का लालच देकर अपने जाल में फंसाता था। तौफीक ने बताया कि वह अब तक दर्जनों लोगों को फंसाकर अपने खाते में रकम जमा करा चुका है। ठगी की रकम घर पहुंचाने को लेता था 20 फीसद कमीशन

तौफीक और शहजाद ने बताया कि एटीएम से रकम निकालने की जिम्मेदारी शाहरूख की थी। वह रकम निकालकर घर पहुंचाने के बदले 20 फीसद कमीशन लेता था। तौफीक के मोबाइल में हजारों नंबर हैं। इनकी जांच की जा रही है।

तौफीक दिमाग में फीड रखता है नंबर

तौफीक ने बताया कि वह जन्म से नेत्रों से दिव्यांग है। लोगों से बात करने के लिए कीपैड वाला मोबाइल प्रयोग करता है। किसी भी नंबर को वह एक बार में याद कर लेता है। इसके चलते साथी उसे कंप्यूटर कहते हैं। तौफीक ने बताया कि वह 100 लोगों से रोज बात करता था। इनमें एक या दो लोग उसके जाल में फंस जाते थे। इस तरह मिला सुराग

साइबर शातिर तौफीक लोगों को जिस नंबर से फोन करता था। वह सिम उसने फर्जी आइडी से ली थी। एक महीने पहले उसने इसे आनलाइन रीचार्ज कराया। इसीके साथ अपनी आइडी से लिया सिम भी रीचार्ज कराया। इससे ही सुराग मिल गया और पुलिस उस तक पहुंच गई।


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