Move to Jagran APP

सीटें दस हजार, दावेदार 90 हजार, सता रही नौनिहाल के दाखिले की चिंता Agra News

नर्सरी सीटों के लिए फिर से होगी मारामारी। जुगाड़ प्रार्थना और गोटियां होने लगीं सेट। हजारों बच्चों के सपने टूटते हैं हर साल।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 08:17 PM (IST)
सीटें दस हजार, दावेदार 90 हजार, सता रही नौनिहाल के दाखिले की चिंता Agra News
सीटें दस हजार, दावेदार 90 हजार, सता रही नौनिहाल के दाखिले की चिंता Agra News

आगरा, प्रभजोत कौर। नौ आईसीएसई बोर्ड स्कूल, 100 से ज्यादा सीबीएसई बोर्ड के स्कूल, 100 से ज्यादा यूपी बोर्ड से संबद्ध प्रमुख स्कूल। कॉन्वेंट स्कूलों में नर्सरी की सीटें हैैं सिर्फ ढाई हजार। पब्लिक स्कूलों में नर्सरी सीटों की संख्या लगभग 5000। यूपी बोर्ड में भी सीटों की संख्या पांच हजार के आस-पास है। कुल मिलाकर इस साल शहर में नर्सरी में कुल सीटें दस हजार से ऊपर हैं। इन दस हजार सीटों के लिए लगभग 90 हजार बच्चों की दावेदारी है।

loksabha election banner

बच्चे के पैदा होते ही उसका नाम रखने की जितनी टेंशन अभिभावकों को होती है, उससे कहीं ज्यादा होती है कि तीन साल का होते ही इसे किस स्कूल में पढऩे भेजेंगे। कॉन्वेंट स्कूल हमेशा ही अभिभावकों की पहली पसंद होते हैं। उसके बाद पब्लिक स्कूलों का नंबर आता है। यूपी बोर्ड के स्कूलों में अपने बच्चों को एडमिशन दिलाने वालों का तबका अलग ही है।

हर साल 90 हजार बच्चे

शहर में एक दिन में लगभग 250 बच्चे पैदा होते हैं। मदर एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के अनुसार हर साल आगरा शहर में लगभग 90 हजार बच्चे पैदा होते हैं। इस ट्रेकिंग सिस्टम में प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों की पूरी रिपोर्ट होती है।

10 हजार सीटें है नर्सरी की

शहर में लगभग 14 कॉन्वेंट स्कूल हैं। इन 14 स्कूलों में नर्सरी सीटों की संख्या लगभग 2500 है। हर स्कूल में कम से कम तीन से पांच सेक्शन होते हैं। हर सेक्शन में लगभग 50 बच्चे पढ़ते हैं। इसी तरह पब्लिक स्कूलों में नर्सरी की लगभग पांच हजार सीटें हैैं। यूपी बोर्ड से संबद्ध प्रमुख स्कूलों की सीटें भी इसमें मिला दें तो यह आंकड़ा दस हजार के पार पहुंच रहा है।

इस बार फिर होगी मारामारी

सीटें कम हैं जो बच्चे ज्यादा हैं। इसलिए हर साल अच्छे स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी रहती है। अभिभावक इस साल भी पूरी तरह से तैयार हैं। जुगाड़े निकाल ली गई हैं। गोटियां सेट कर दी गई हैं। फॉर्म मिलने की तिथि और समय पता चलते ही अभिभावक समय से पहले ही स्कूल गेट पर खड़े हो जाते हैं कि किसी तरह बस फॉर्म मिल जाए। आधी जंग तो फॉर्म मिलने से ही जीत लेते हैं।

हजारों रह जाते हैं मायूस

सीमित सीटें होने से हर साल हजारों बच्चों को मायूस होना पड़ता है। इस साल भी ऐसा ही होगा। कॉन्वेंट, पब्लिक और यूपी बोर्ड के स्कूलों में सीटें भरने के बाद भी हजारों बच्चे शहर के चुनिंदा स्कूलों में प्रवेश से वंचित रह जाते हैं।

हमारी संस्था अप्सा के 44 स्कूल सदस्य हैं। हर स्कूल में नर्सरी के एडमिशन होंगे। कुछ स्कूलों में सिर्फ तीन सेक्शन हैं तो डीपीएस जैसे स्कूलों में नौ सेक्शन भी हैं। इसके बावजूद बच्चों की संख्या काफी है।

- डा. सुशील गुप्ता, अध्यक्ष, अप्सा

सीटें नहीं बढ़ा सकते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर होगा। इस समय भी हर क्लास के हर सेक्शन में कम से कम 50 बच्चे होते हैं। ऐसे में अगर बच्चों की संख्या बढ़ाई जाएगी तो टीचर्स पर भी जोर पड़ेगा और शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा।

- डा. गिरधर शर्मा, सचिव, अप्सा 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.