Puri Jagannath Rath Yatra: पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा, वृंदावन में चांदी के रथ में बैठ भक्तों को दर्शन देंगे बांकेबिहारी
Puri Jagannath Rath Yatra सांवली सलोनी मूरत के बिहारी जी और भक्त के मध्य बस एक ही भाव रहता है शून्य का। प्रभु को देख भक्त इतने आत्म विभाेर हो जाते हैं कि कुछ और सुध रहती ही नहीं है।
आगरा, जागरण टीम। चांदी से निर्मित दिव्य रथ और उसे खींचते चांदी के ही घोड़े, रथ में सोलह श्रृंगार कर विराजित ठा. बांकेबिहारीजी जब जगन्नाथ रथयात्रा के दिन फूलबंगला में भक्तों को दर्शन देंगे, तो वह आल्हादित हो जाएंगे। भगवान जगन्नाथ जब पुरी से लेकर वृंदावन तक दिव्य और भव्य रथों में बैठ नगर भ्रमण को निकलेंगे। तब ठा. बांकेबिहारीजी चांदी के दिव्य रथ में बैठ भक्तों को दर्शन देंगे।
उल्लास पूर्वक मनाया जाएगा जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में शुक्रवार को जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाएगा। देसी-विदेशी फूलों से जगमोहन के मध्य चांदी के दिव्य रथ को चांदी के घोड़े खींच रहे होंगे। आराध्य बांकेबिहारी सोलह श्रृंगार कर भक्तों को दर्शन देंगे। आराध्य की इस छवि को अपने दिल में बसाने को बेताब हजारों भक्त शुक्रवार को मंदिर पहुंचने के लिए वृंदावन में डेरा डाल चुके हैं।
मंदिर के सेवायत ब्रजेंद्र किशोर गोस्वामी ने बताया कि एक जुलाई को होने वाली रथयात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मंदिर के जगमोहन में आराध्य बांकेबिहारी चांदी के रथ पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। कहा, चंद्र आनंद निकुंज बिहारी चैरिटेबल ट्रस्ट ने भक्तों के सहयोग से ठा. बांकेबिहारी के लिए चांदी का विशाल रथ 2013 में बनाया था।
रथ की सफाई कारीगर कर रहे हैं। 160 किलो चांदी से जड़ित चार घोड़ों वाले रथ में ठाकुरजी को विराजमान कराया जाएगा। रथ के चारों तरफ जगमोहन को देसी-विदेशी पुष्पों से सजाया जाएगा। प्रभु दर्शन का समय प्रात: आठ से दोपहर 12 बजे तक होगा।
रबड़ी से अभिषेक, इत्र से गिरिराजजी की मालिश
सेवायत अपने गिरिराजजी की सेवा भाव से करते हैं। सेवायत ने गिरिराजजी प्रभु को गजब का लाड़ लड़ाया। गिरिराज प्रभु की थकान मिटाने को सुगंधित इत्र से जमकर मालिश तथा रबड़ी, दूध आदि से अभिषेक कर उत्सव मनाया। गुरुवार को सेवायत परीक्षित कौशिक ने गिरिराजजी का रबड़ी और मानसीगंगा से जल से प्रभु का अभिषेक किया। सुगंधित इत्र लगाकर मालिश की गई।
प्रभु के चरण और श्रीअंगों को धीरे-धीरे दबाकर थकान मिटाई। परीक्षित कौशिक ने बताया कि प्रभु भक्तों का दरबार लगाकर मनोकामना पूरी करते हैं। प्रभु की थकान मिटाने के लिए ही यह आयोजन किया गया है। गिरिराज प्रभु को केसरयुक्त अधौटा दूध और मालपुआ समर्पित किए। प्रभु को सुलाने के लिए शयन के पद सुनाए। इसके बाद पांच ज्योतियों से नजर उतारकर प्रभु को सुलाया।