शिक्षा के मंदिरों में भी छात्राओं को हैवानों से खतरा
आगरा: शिक्षा के मंदिर में प्रधानाचार्य के रूप में तो कहीं शिक्षक के भेष में हैवान बच्चियों पर कुदृष्टि डाल चुके हैं।
बाल यौन शोषण अब बस
जागरण संवाददाता, आगरा:
हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना हो कई बार देखना।
निदा फाजली की यह पंक्तियां आज के इंसान पर सटीक बैठती हैं। आदमी का कौन सा चेहरा कब-कहां और किस रूप में सामने आकर हतप्रभ कर दे, कोई नहीं जानता। मामला लड़कियों के यौन शोषण का हो तो अतिरिक्त सतर्कता बरतना लाजिमी है। जिस शिक्षा के मंदिर में बच्चों को संस्कार और सुरक्षा का पाठ पढ़ाए जाने की उम्मीद रहती है, वहां भी कहीं प्रधानाचार्य के रूप में तो कहीं शिक्षक के भेष में हैवान बच्चियों पर कुदृष्टि डाल चुके हैं। शुक्र है कि ताजनगरी में जब भी इस तरह के मामले सामने आए तो स्कूल प्रबंधन से लेकर समाज तक पीड़िता के समर्थन में खड़ा नजर आया। ऐसे हैवानों को ना सिर्फ सलाखों के पीछे भेजा बल्कि उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया।
एक मामला अछनेरा क्षेत्र के स्कूल से जुड़ा है। वहां का प्रधानाचार्य नाबालिग छात्रा पर बुरी नजर रखने लगा। छात्रा को आए दिन किसी न किसी बहाने अपने कार्यालय में बुलाता। प्रधानाचार्य के मंसूबे से अनजान छात्रा ने प्रधानाचार्य द्वारा बार-बार बुलाने पर गौरवान्वित होती। उसे लगता कि पढ़ाई में मेधावी होने के चलते सर उसे बुलाते हैं। छात्रा का विश्वास हासिल करने के बाद प्रधानाचार्य ने अपने चेहरे से मुखौटा उतारना शुरू कर दिया। छात्रा उसके बैड टच से खुद को असहज महसूस करती, लेकिन प्रधानाचार्य का पद देख विरोध करने का साहस नहीं होता। उसने कई बार साथी छात्राओं को इस बारे में बताने का प्रयास किया, लेकिन अनजाने भय से उसका मुंह बंद हो जाता।
प्रधानाचार्य ने छात्रा की खामोशी का फायदा उठाते हुए उसका यौन शोषण शुरू कर दिया। एक साल पहले अपने कार्यालय में बुलाकर उससे जबरदस्ती की। अपनी अश्लील हरकतों की मोबाइल से वीडियो बना ली। छात्रा ने यौन शोषण का विरोध किया तो वह ब्लैकमेलिंग पर उतर आया। वीडियो सोशल मीडिया में सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसका शारीरिक शोषण जारी रखा। वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने पर प्रधानाचार्य की करतूत सामने आई। छात्रा ने परिजनों को अपने यौन शोषण की जानकारी दी। इसके बाद स्कूल प्रबंधक और छात्रा के परिजन साथ हो गए। प्रबंधक ने आरोपित प्रधानाचार्य को नौकरी से निकाल दिया। छात्रा के पिता द्वारा अछनेरा थाने में मुकदमा दर्ज कराने पर पुलिस ने प्रधानाचार्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि तत्कालीन प्रधानाचार्य का चरित्र पतन हो गया था। उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराई और छात्रा को न्याय दिलाया था।
दूसरा मामला जगदीशपुरा क्षेत्र के एक स्कूल का है। शिक्षक ने 13 वर्षीय छात्रा को विश्वास में लेकर उसका मोबाइल नंबर हासिल कर लिया। इसके बाद मोबाइल पर अश्लील मैसेज करने शुरू कर दिए। स्कूल के स्टाफ रूम में बुलाकर एकांत में किसी न किसी बहाने बैड टच करता। एक दिन छात्रा की मां ने शिक्षक के अश्लील मैसेज देख लिए। जिससे छात्रा की मां के होश उड़ गए। उन्होंने अन्य अभिभावकों के साथ स्कूल में जाकर हंगामा कर दिया। स्कूल प्रबंधक ने आरोपित शिक्षक को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया। आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के बाद मामला शांत हो सका।
ऐसा कर सकते हैं स्कूल
-बाल यौन शोषण, छेड़छाड़ की घटनाएं न हों, इसके लिए स्कूल में सघन निगरानी रखने को समिति गठित करें।
-स्कूल परिसर में सीसीटीवी लगवाएं।
-शिक्षकों, कर्मचारियों, चालक- परिचालकों पर नजर रखें।
-ऐसी घटना होने पर पुलिस की त्वरित सहायता लें ।
-छात्राओं की नियमित काउंसिलिंग करनी चाहिए
-छात्राओं को गुड और बैड टच के बारे में जागरूक करना चाहिए।
-छात्राओं को यौन शोषण जैसे विषय पर जागरूक करना चाहिए
-बच्चों से खुलकर बात करें अभिभावक: मनोवैज्ञानिक
मंडलीय मनोवैज्ञानिक केंद्र के प्रभारी आरएस चौधरी का कहना है कि अभिभावकों को बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए। इससे बच्चों को साहस मिलता है। उन्हें बताना चाहिए कि बुरी नजर, बुरी नीयत, बुरा टच क्या होता है। इससे बचने के उपाय भी बताने चाहिए। आरोपितों की हरकतों की अनदेखी न करें। आरोपितों को करारा जवाब देना चाहिए। हो सके तो छात्राओं को कराटे सीख लेने चाहिए। स्कूल प्रधानाचार्य, पुलिस की सहायता लेनी चाहिए।