Bakrid 2020: Coronavirus के असर से फैनी की बिक्री 'लॉक', बकरों की 'डाउन'
Bakrid 2020 एक अगस्त को ईद- उल-अजहा (बकरीद) है। बकरीद तीन दिन मनाई जाती है और तीनों दिन कुर्बानी होती है
आगरा, जागरण संवाददाता। ईद पर बिकने वाली फैनी सेवइयों पर कोरोना का लॉक है तो बकरों की बिक्री डाउन हो गई है। धंधा कम होने से बेरोजगार हुए लोगों की बकरीद भी सूनी-सूनी सी गुजरेगी। कुर्बानी को लेकर भी ज्यादा उत्साह नहीं है।
एक अगस्त को ईद- उल-अजहा (बकरीद) है। बकरीद तीन दिन मनाई जाती है और तीनों दिन कुर्बानी होती है, लेकिन कुर्बानी से पहले बनने वाली सेवर्इं पर संक्रमण का ग्रहण है। ईद पर पांच करोड़ रुपये की फैनी का कारोबर होता था। जो इस बार एक करोड़ रुपये होने की भी उम्मीद नहीं है। लोहामंडी के फैनी विक्रेता मोहम्मद शहजाद खां बताते हैं कि बकरीद पर 15 से 20 क्वींटल फैनी की बिक्री होती थी। इस बार केवल 60 किलोग्राम फैनी तैयार की है। पांच-पांच किलोग्राम खरीदने वाले लोग एक से दो किलोग्राम खरीद रहे हैं। वे बताते हैं कि यह कारोबार कमजोर होने की वजह से हुआ है। फैनी निर्माता मंटोला निवासी सादिक हुसैन का कहना था कि दोनों ईद पर ही पूरे वर्ष में होने वाली आमदनी की उम्मीद रहती है। ईद-उल-फितर पर पूर्ण रूप से लॉकडाउन था। इसलिए पूरी तरह से काम बंद रहा। बकरीद पर कुछ राहत मिली तो बिक्री न के बराबर है। उधर, बकरों की बिक्री भी हाट न लगने से कम हो रही है। हर वर्ष लगभग एक लाख से ज्यादा बकरे बिकते थे।
कारीगरों ने देखी दूसरी राह
सादिक हुसैन बताते हैं कि हर वर्ष ईद पर वह चालीस कारीगरों से काम कराते थे और पांच कारीगर हर वक्त रहते थे। इस बार काम बंद होने से कारीगर खर्चा के लिए परेशान हो गए। उन्होंने दिहाड़ी में हलवाई की दुकानों पर जाना शुरू कर दिया है।
कैसे तैयार होती है फैनी
फैनी बनाने के लिए सबसे पहले मैदा पानी में मिलाकर गूंथते हैं। फिर उसके बड़े-बड़े पैड़े बनाते हैं। उनसे टुकड़े काटकर बीच में छेद कर घी या रिफाइंड में भिगोते हैं। टुकड़े को निकालकर तीन बार फंदे लगाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार होती है। जिससे वह तार की तरह बन जाते हैं। इसके बाद उसको घी में पकाया जाता है। तब जाकर फैनी बनती है।