राज्यकर अधिकारी की अनूठी पहल, इस तरीेके से बता रहे CoronaVirus रोकने का तरीका
आगरा निवासी श्याम सुंदर पाठक अनंत नोएडा में हैं असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर। सकारात्मक रुप से ऊर्जा का संचार कर कर रहे हैं प्रेरित।
आगरा, संदीप शर्मा। कोरोना देश और शहर में धीरे-धीरे पैर पसार रहा है। लॉक डाउन में लोग भले घर में हैं, लेकिन हर दिल में इसको लेेकर दहशत छाई है। ऐसे में लोगों को सकारात्मक माहौल देने के उद्देश्य से आगरा निवासी व वाणिज्य कर विभाग नोएडा में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर तैनात श्याम सुंदर पाठक अनंत ने एक पुस्तक लिखी है। कोरोना- भारतीय संस्कृति का पालन करो- ना नाम पुस्तक में उन्होंने देश की प्राचीन संस्कृति से मौजूदा माहौल का सामंजस्य बैठाने की सफल कोशिश की है।
वह बताते हैं कि यह एक बेहद सकारात्मक अंदाज में लिखी गयी शानदार किताब है, जो पाठक से मन- मस्तिष्क में जीवन के प्रति आशा का संचार करती है। साथ ही देश की प्राचीन महान भारतीय संस्कृति का दर्शन भी कराती है। इसमें हमारी महान प्राचीन परम्पराओं में छिपे समाधान का अद्भुत विश्लेषण है, जो कोरोना वायरस के संकट द्वारा फैली निराशा, नकारात्मकता को मिटाकर मन में आशा, सकारात्मकता, उत्साह का संचार कर भारतीय संस्कृति की महान परंपराओं के पीछे छिपी वैज्ञानिकता और शुभ मंगल भावनाओं से परिचय कराकर कोरोना से लडऩे का साहस देती है। खास बात ये है कि इसमें समस्त आंकड़े अद्यतन हैं। शीघ्र ही इसका अगला संस्करण भी लाने की तैयारी है।
निश्शुल्क उपलब्ध
उन्होंने बताया कि यह पुस्तक सभी के लिए लाभप्रद हैै, इसलिए उन्होंने आदर्श संस्था के सचिव विकास चौहान के सुझाव पर इसे जनहित में निश्शुल्क पीडीएफ रुप में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। पुस्तक कोष के स्वामी शचीन्द्र शर्मा द्वारा इस पुस्तक को पुस्तककोष डॉट कॉम पर अपलोड किया गया है, जहां से इसे निश्शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है या अपनी ई- मेल आइडी पर भी मंगा सकते हैं।
लिखने में है विशेष रुचि
श्याम सुंदर पाठक 'अनन्त' 2013 बैच के पीसीएस अफसर हैं और नोएडा में असिस्टेंट कमिश्नर, वाणिज्य कर के पद पर कार्यरत हैं। वह इससे पहले भी कई पुस्तकें लिख चुके हैं। बच्चों के लिए पुस्तक 'खिलखिलाते अक्षर' वर्णमाला के साथ-साथ संस्कारों के रोपण का कार्य करती है, यह भी पुस्तककोष डॉट कॉम पर ऑनलाइन निश्शुल्क उपलब्ध है। साथ ही दो और कविता संग्रह 'श्याम की पाती' और 'जीवन की वर्णमाला' को जनहित में शीघ्र ही पुस्तक कोष पर निश्शुल्क पीडीएफ रूप में लाने की योजना है।