Fatehpur Sikri: अकबर के इबादतखाना काे सहेजेगा ASI, जानिए कब और किसने की थी खाेज
Fatehpur Sikri फतेहपुर सीकरी स्थित स्मारक के संरक्षण को किया गया है टेंडर। पद्मश्री केके मुहम्मद ने मुगलकालीन पेंटिंग के आधार पर की थी खोज। अकबर ने वर्ष 1575 में इसका निर्माण कराया था। यहां वो गुरुवार की शाम धर्मगुरुओं व दार्शनिकों के साथ विचार-विमर्श करता था।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) मुगल शहंशाह अकबर के इबादतखाना का संरक्षण करने जा रहा है। फतेहपुर सीकरी स्थित स्मारक के संरक्षण को टेंडर कर दिया गया है। इसकी खोज पद्मश्री केके मुहम्मद ने 90 के दशक की शुरुआत में मुगलकालीन पेंटिंग के आधार पर उत्खनन कराकर की थी। फतेहपुर सीकरी में किंग्स गेट के नजदीक इबादतखाना है।
अकबर ने वर्ष 1575 में इसका निर्माण कराया था। यहां वो गुरुवार की शाम धर्मगुरुओं व दार्शनिकों के साथ विचार-विमर्श करता था। इसके संरक्षण को एएसआइ ने टेंडर किया है। करीब 3.55 लाख रुपये की लागत से यहां संरक्षण कार्य कराया जाएगा। दीवार व फर्श से निकले पत्थरों को दोबारा लगाने के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से इंतजाम किए जाएंगे, जिससे कि असामाजिक तत्व स्मारक परिसर में प्रवेश न कर सकें। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि इबादतखाना का संरक्षण शीघ्र शुरू किया जाएगा।
नरसिंह की पेंटिंग को देखकर खोजा था
इबादतखाना की खोज केके मुहम्मद ने वर्ष 1982-83 व 1983-84 में उत्खनन कर की थी। तब उन्होंने एएसआइ को ज्वाइन नहीं किया था। उस समय वो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे। इतिहासकारों के इबादखाना को लेकर अलग-अलग मत थे। सईद अहमद मारहरवी, इतिहासकार अतहर अब्बास रिजवी और सलीम ने जामी मस्जिद और जोधाबाई महल के बीच के टीले को इबातदखाना बताया था। केके मुहम्मद ने वर्ष 1602 में मुगलकालीन चित्रकार नरसिंह द्वारा बनाई गई पेंटिंग के आधार पर उत्खनन कर इबादतखाना की खोज की थी। पेंटिंग के आधार पर उन्होंने साबित किया था कि अकबर का असली इबादतखाना यही है।