Liquor Factory in Agra: आगरा में नकली शराब बनाने के लिए हरियाणा से बुलाए थे कारीगर, पढ़ें कैसे करते थे ये जहर तैयार
Liquor Factory in Agra मुख्य कारीगर आरोपित रिंकू एक हजार व बाकी चार साथियों को 600 रुपये रोज मिलते थे। हरियाणा में कई शराब ठेकों पर काम कर चुका रिंकू नकली शराब बनाने में था माहिर। पूर्व में जेल भी जा चुका है।
आगरा, जागरण संवाददाता। हरियाणा से तस्करी की शराब लाकर यहां बेचने का मुनाफा कम होता देख शातिरों ने आगरा में ही नकली शराब बनाकर बेचने का धंधा शुरू कर दिया। वह हरियाणा से नकली शराब बनाने के कारीगर लेकर आए थे। मुख्य कारीगर को एक हजार और बाकी चार लोगों को छह सौ रुपये रोज देते थे। कारीगर नकली शराब बनाना जानते थे।
फतेहाबाद में पुलिस द्वारा नकली शराब बनाने के मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें पांच आरोपित हरियाणा के रहने वाले हैं। जिसमें गांव आटा थाना समालखां जिला पानीपत हरियाणा का रहने वाला रिंकू मुख्य है। पुलिस के पूछताछ करने पर रिंकू ने बताया कि वह हरियाणा में शराब के ठेकों पर सालों काम कर चुका है। इसके चलते उसे शराब बनाने की पूरी जानकारी थी। पूर्व में जेल भी जा चुका है। फतेहाबाद का रहने वाला राधा मोहन और फीरोजाबाद के सोनू को वह पहले से जानता है। दोनों हरियाणा से तस्करी की शराब आगरा लेकर आते थे। इस दौरान उनसे मुलाकात हुई थी।
राधा मोहन और सोनू ने करीब एक महीने पहले उससे मुलाकात की। उनसे आगरा में नकली शराब बनाने की कहा। दोनों ने नकली शराब की फैक्ट्री चलाने के लिए सामान उपलब्ध कराने की कहा। रिंकू ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि राधा मोहन और सोनू से उसका एक हजार रुपये रोज में बात तय हो गई थी। जबकि साथ आने वाले चार मजदूरों गुरमीत, दीपक, अमित शर्मा और साहिल प्रत्येक को छह सौ रुपये रोज मिलते थे। वह एक दिन में एक हजार लीटर से ज्यादा शराब तैयार कर देते थे। एक पेटी पर राधा मोहन और सोनू को एक से डेढ़ हजार रुपये मुनाफा होता था।
धौलपुर से लाते थे एक्सट्रा नेचुरल अल्कोहल
रिंकू ने बताया कि नकली शराब में यूरिया और स्प्रिट के अलावा वह एक्सट्रा नेचुरल अल्कोहल (ईएनए) मिलाते थे। राधा मोहन और सोनू ईएनएन धौलपुर और भरतपुर से लेकर आते थे। इन तीनों चीजों को मिलाने से शराब की तीव्रता बढ़ जाती है।
शराब का रंग बनाने के लिए जली हुई शकर थे डालते
पुलिस के पूछताछ करने पर रिंकू ने बताया कि शराब का रंग तैयार करने के लिए वह शकर का प्रयोग करते थे। शकर को जलाने के बाद उसे नकली शराब में मिला देते थे। इससे नकली शराब का रंग असली की तरह हो जाता था।