Ambedkar University Agra: बिगड़ रहा आंबेडकर विवि का ढर्रा, एक साल से बिना स्थायी कुलपति के चल रहा काम
Ambedkar University Agra पिछले साल पांच जुलाई को ही प्रो. अशोक मित्तल को किया गया था कार्य विरत। प्रो. आलोक राय के बाद प्रो. विनय कुमार पाठक बने प्रभारी कुलपति। मई के महीने में मुख्य परीक्षाओं में तीन विषयों के पेपर लीक हुए।
आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पिछले साल पांच जुलाई को पूर्व कुलपति प्रो. अशोक मित्तल को कुलाधिपति के निर्देशों पर कार्य मुक्त कर दिया गया था। उन पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनिमयितताओं का आरोप लगे थे। कोर्ट में जाने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद दो कार्यवाहक कुलपति रहे, लेकिन अब तक स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जबकि शासन स्तर से कुलपति के लिए आवेदन मांगे जा चुके हैं, सर्च कमेटी भी बनाई जा चुकी है।
2020 फरवरी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक प्रो. अशोक मित्तल को आंबेडकर विश्वविद्यालयका कुलपति नियुक्त किया गया था। 2021 को पांच जुलाई को उनके ऊपर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लग गए और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देशों पर उन्हें कार्य विरत कर दिया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को आगरा विश्वविद्यालय का प्रभार दे दिया गया था। प्रो. राय ने इस साल जनवरी तक के अपने कार्यकाल में नीतिगत फैसला नहीं लिया। उनके बाद कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को प्रभार दिया गया। प्रो. पाठक ने कई काम किए, लेकिन स्थायी कुलपति की कमी को पूरा नहीं कर पाए।
एक साल में हुई कई समस्याएं
बिना स्थायी कुलपति के विश्वविद्यालय का ढर्रा बिगड़ गया है। मई के महीने में मुख्य परीक्षाओं में तीन विषयों के पेपर लीक हुए। यह पेपर 200 रुपये में आगरा कालेज के बाहर ही बेचे गए थे। पुलिस व प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी तीन दिन बाद फिर से बीएससी सेकेंड ईयर का रसायन विज्ञान का पेपर आउट हो गया। इन हालातों में विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगा हुआ है। तमाम जांच और गिरफ्तारी के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम भी देरी से निकला। कालेजों द्वारा परीक्षा शुल्क न जमा किए जाने पर अब भी कई कालेजों का परिणाम रूका हुआ है। विश्वविद्यालय के कई संस्थान व विभाग हैं, छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में हुई धांधली पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
स्थायी कुलपति का हम भी इंतजार कर रहे हैं। शासन स्तर से प्रक्रिया चल रही है। काम हो रहे हैं, लेकिन प्रभारी कुलपति निर्धारित समय के लिए ही अपना विजन रखते हैं। जबकि स्थायी कुलपति के पास तीन साल का विजन होता है, जो छात्र हित में होता है।
- प्रो. अजय तनेजा, प्रति कुलपति, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय