Ambedkar University Agra: दो सालों में 46 हजार डिग्री के आवेदनों में से प्रेषित हुई आधी
2014 तक के हैं आवेदन विभागों में अटके हैं। अब तक 23 हजार डिग्रियों को किया गया प्रेषित।
आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विवि के विभागों में 2014 तक के लगभग 23 हजार डिग्रियों के आवेदन घूम रहे हैं। कुछ अलमारियों में आपत्तियों के नाम पर बंद हैं तो कुछ बाबूओं के मेजों की दराजों में विद्यार्थियों से मिलने वाले सुविधा शुल्क का इंतजार कर रहे हैं। दो सालों में विभिन्न विभागों में लगभग 46 हजार डिग्रियों के आवेदन थे, जिनमें से 23500 को प्रेषित किया जा चुका है। 2018 में शुरू हुआ अॉनलाइन सिस्टमविवि में अप्रैल 2018 में डिग्री के लिए अॉनलाइन आवेदन की सुविधा तत्कालीन कुलपति डा.अरविंद दीक्षित ने शुरू की थी। योजना यह थी कि आवेदन के बाद निर्धारित समय के अंदर विद्यार्थियों को डिग्री भेज दी जाएगी। आवेदन में यदि कोई कमी पाई जाती है तो आवेदक को मैसेज भेजकर उसे दूर करने के लिए जानकारी दी जाएगी। ट्रैकिंग की भी सुविधा दी जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आवेदन करने के 400 दिन तक भी विद्यार्थियों को डिग्रियां नहीं मिल पाई हैं। सख्ती के बाद भी पटलों पर डिग्रियां लटकाई जा रहीं हैं। प्रिंटिंग विभाग, चार्ट रूम, हेल्प डेस्क पर फाइलें लटकी हुई हैं।
चार महीनों में दस डिग्री हुईं थी प्रेषित
2018 में शुरू हुई अॉनलाइन आवेदन की सुविधा के बाद विवि को 36 हजार डिग्रियों के आवेदन मिले थे। इनमें से अगस्त 2018 तक केवल दस डिग्री ही प्रेषित की गई थीं। विभागों में आपत्तियों के नाम पर डिग्रियों के आवेदन रूके हुए हैं। जनवरी 2020 तक 22 हजार डिग्रियों को प्रेषित किया गया। मार्च में लॉक डाउन के बाद से अब तक लगभग 1500 डिग्रियां और प्रेषित की गई हैं। 46 हजार में से प्रेषित की गई डिग्रियों का आंकड़ा अब लगभग 23500 के आसपास पहुंच चुका है।
सबसे ज्यादा चार्ट रूम में रूकी हैं डिग्रियां
आवेदन आने के बाद अभ्यर्थी के घर तक पहुंचने तक एक डिग्री को कई चरणों से गुजरना पड़ता है।तत्कालीन कुलपति डा. अरविंद दीक्षित ने डिग्री आवेदन से प्रेषित होने तक का समय 45 दिन का रखा था। जो अब 400 दिन का हो गया है। सबसे ज्यादा आवेदन चार्ट रूम में रूके हुए हैं। यहां रूके आवेदनों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। हेल्प डेस्क पर भी लगभग नौ हजार आवेदन रूके हुए हैं। नामांकन विभाग में ही रूके आवेदनों की संख्या पांच हजार के आसपास है।
डिग्रियों को लेकर विद्यार्थी काफी परेशान रहे हैं, हमारी पूरी कोशिश है कि विद्यार्थी अब परेशान न हों। जल्द ही कार्ययोजना तैयार होने वाली है, फिर अमल शुरू हो जाएगा। हर समस्या का समाधान होगा।
प्रो. अनिल वर्मा, प्रभारी, डिग्री विभाग