Ambedkar University Agra: एक ऐसी यूनिवर्सिटी, जिसने दिया कई नई यूनिवर्सिटीज को जन्म
समय के साथ आगरा विवि से अलग होकर बनते गए नए विवि। कई विश्वविद्यालयों को किया शैक्षिक व आर्थिक सहयोग। ताजा समय में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को आर्थिक के साथ दिए कालेज भी। गोरखपुर मेरठ बरेली कानपुर विश्वविद्यालय भी यहीं के सहयोग से बने।
आगरा, प्रभजोत कौर। 94 सालों में बहुत कुछ बदला, लेकिन डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ( पूर्ववर्ती आगरा विवि) की रीत नहीं बदली। देश में कई विश्वविद्यालयों को स्थापित करने में अहम भूमिका निभा चुका आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर से अलीगढ़ में शिलान्यास होने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए न सिर्फ आर्थिक बल्कि शिक्षा विस्तार का भी सहयोग कर रहा है।
94 सालों का है सफर
1927 में बने आगरा विश्वविद्यालय का नाम 1996 में बदलकर डा. भीमराव आंबेडकर हुआ।भरतपुर हाउस के एक भवन में इसकी शुरूआत हुई। पंजाब की सीमा से लेकर बिहार की सीमा तक और राजस्थान व मध्यप्रदेश के सभी कालेज इससे संबद्ध कर दिए गए। एक जमाना वह भी था, जब छह महीने इसका कुलपति कार्यालय आगरा से संचालित होता था तो बाकी छह महीने शिमला से। कला, विज्ञान, वाणिज्य और कानून के संकायों की संख्या अब बढ़कर 13 हो गई है। आवासीय परिसर में सबसे पहले केएमआई की स्थापना 1953 में की गई थी, उसके बाद 1957 में समाज विज्ञान संस्थान और 1968 में गृह विज्ञान संस्थान की स्थापना हुई।इस विश्वविद्यालय का विस्तार क्षेत्र गुजरात, कोलकाता, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान तक था। धीरे-धीरे इन राज्यों में विश्वविद्यालय बने तो इसका विस्तार क्षेत्र उत्तर प्रदेश तक रह गया।
इन विश्वविद्यालयों को स्थापित करने में किया सहयोग
- गोरखपुर विश्वविद्यालय स्वतंत्रता मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में स्थापित होने वाला पहला विश्वविद्यालय है। इसकी नींव 1 मई 1950 को पड़ी, तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने इसका शिलान्यास किया। अगस्त 1956 में विधानसभा से गोरखपुर विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ। 11 अप्रैल 1957 को बीएन झा पहले कुलपति बने। 1997 में इसका नाम दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय रख दिया गया।
-1965 में मेरठ विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। वर्तमान में इसका नाम चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी है।
-बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना सन् 1975 में की गयी थी।
- महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय की स्थापना 1975 में एक सम्बद्ध विश्वविद्यालय के रूप में की गयी थी। तत्कालीन आगरा विश्वविद्यालय इस क्षेत्र की साक्षरता दर में आवश्यकता के अनुरूप बृद्धि करने की सामर्थ्य नहीं रखता था अत: राष्ट्रीय साक्षरता दर के स्तर पर लाने की दृष्टि से इस विश्वविद्यालय की नींव रखी गयी। सन् 1985 में जब चार विभाग इसमें और बढ़ाने पडे तब इसे आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। इसके बाद 1987 में तीन विभाग इसमें और बढ गये। अगस्त 1997 में महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ जोडते हुए इसका नाम बदलकर एमजेपी रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय कर दिया गया।
- छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित एक विश्वविद्यालय है। यह पहले कानपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। कानपुर विश्वविद्यालय की स्थापना 1966 में आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्द विश्वविद्यालयों के विभाजन से हुई। अब इसमें 15 जिलों के 170 कालेज संबद्ध हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने कानपुर विश्वविद्यालय का नाम 1884 से 1922 के बीच कोल्हापुर के राजा शाहू चतुर्थ के नाम पर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय रख दिया।
आर्थिक के साथ शैक्षिक सहयोग भी
आंबेडकर विश्वविद्यालय ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये का आर्थिक सहयोग दिया था। अब विश्वविद्यालय अलीगढ़, एटा, हाथरस और कासगंज के 395 कालेजों को भी इसी विश्वविद्यालय से संबद्ध कर रहा है।
आंबेडकर विश्वविद्यालय देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शामिल है। जैसे-जैसे अन्य राज्यों में विश्वविद्यालयों की स्थापना होती गई, विश्वविद्यालय से उस राज्य के कालेजों को उन विश्वविद्यालयों से संबद्ध किया जाता रहा। ऐसा ही अब अलीगढ़ में बन रहे राज्य विश्वविद्यालय के साथ हो रहा है।
-प्रो. प्रदीप श्रीधर, जनसंपर्क अधिकारी