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Constitution Day 2019: बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने से पूर्व आगरा आए थे संविधान शिल्‍पी डॉ आंबेडकर Agra News

रामलीला मैदान में हुई थी सभा उमड़ी थी भीड़ लोगों में था उत्साह। डॉ बीआर आंबेडकर का अस्थि कलश आज भी बौद्ध विहार में है सुरक्षित।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 03:53 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 03:53 PM (IST)
Constitution Day 2019: बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने से पूर्व आगरा आए थे संविधान शिल्‍पी डॉ आंबेडकर Agra News
Constitution Day 2019: बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने से पूर्व आगरा आए थे संविधान शिल्‍पी डॉ आंबेडकर Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। संविधान दिवस के मौके पर संविधान शिल्पी (संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष) डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद किया जा रहा है। डॉ. आंबेडकर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने से पूर्व आगरा आए थे। उन्होंने यहां बौद्ध विहार की स्थापना भी की थी।

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26 नवंबर, 1949 को देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था। डॉ. भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष में 26 नवंबर, 2015 से संविधान दिवस मनाना शुरू किया गया। आगरा से भी डॉ. आंबेडकर का नाता रहा है। वो 18 मार्च, 1956 को 15वीं शेड्यूल कास्ट कांफ्रेंस में आगरा आए थे। किले के सामने रामलीला मैदान में सभा हुई थी। रामलीला मैदान में भीड़ को देखकर डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि अगर उन्हें यह पता होता कि यहां इतने अधिक लोग हैं, तो वो अपने मिशन की शुरुआत यहीं से करते। आगरा आने के छह माह बाद 14 अक्टूबर, 1956 को उन्होंने नागपुर में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।

डॉ. आंबेडकर के आगरा दौरे पर किताब ‘18 मार्च, 1956 बाबा साहेब का आगरा आगमन’ लिखने वाले करतार सिंह भारतीय बताते हैं कि चक्की पाट उन्होंने बौद्ध विहार की स्थापना की थी। उनके बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने से पूर्व स्थापना होने की वजह से यह पूवरेदय बौद्ध विहार कहलाता है। उनके निधन के बाद अस्थि कलश आगरा लाया गया था, जो बौद्ध विहार में आज भी सुरक्षित है। आगरा में वो लॉरीज होटल में ठहरे थे। उनकी पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर, सोहनलाल शास्त्री व शंकरानंद शास्त्री उनके साथ आगरा आए थे।

संविधान की कुछ प्रमुख बातें

- 26 नवंबर 2019 को देश 70वां संविधान दिवस मना रहा है।

- आज से ठीक 70 साल पहले 26 नवंबर 1949 को भारत ने अपना संविधान अंगीकृत किया था।

- 11 अक्टूबर 2015 को 26 नवंबर 7 दिन राष्ट्रीय संविधान दिवस घोषित किया गया था।

- 1951 में पहला संविधान संशोधन अस्थाई संसद ने पारित किया था।

- 70 सालों में भारतीय संविधान में कुल 103 संशोधन किए गए।

- 2019 में अंतिम 103 वां संशोधन पारित हुआ। जिसके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के नागरिकों को केंद्र सरकार के शिक्षण संस्थानों, प्राईवेट शिक्षण संस्थानों (माइनोरिटी संस्थानों को छोड़कर) एवं नौकरियों में 10% आरक्षण देना सुनिश्चित किया गया।

- 99 संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिया गया। जिसके द्वारा नेशनल ज्यूडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन 2014 के गठन का प्रस्ताव किया गया था। 16 अक्टूबर 2015 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 4:1 से इस संशोधन को असंवैधानिक मानते हुए अपास्त किया गया।

- स्वतंत्रता के बाद राज्यसभा द्वारा अब तक कुल 107 संविधान संशोधन विधेयक पारित किए गए।

- एक विधेयक लोकसभा द्वारा अमान्य घोषित किया गया।

- लोकसभा द्वारा कुल 106 संविधान संशोधन विधेयक पारित किए गए।

- कुल 3 विधेयकों को राज्यसभा द्वारा अमान्य करार दिया गया।


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