ताज पर चमकी: शरद के चांद में धवल ताज देखने की हसरत, कहीं पूरी तो कहीं कतार में अटकी Agra News
शरद पूर्णिमा पर ताज महल के रात्रि दर्शन के सभी टिकट बिके। 400 व्यक्ति ही कर सकते हैं एक रात में दीदार।
आगरा, जागरण संवाददाता। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में सरोवर में सफेद कमल की भांति खिलते ताज महल को एक बार देखने की हसरत कहीं पूरी होनेे की डगर पर है तो कहीं कतार में ही अटकी हुई है। शनिवार सुबह भी चमकी ताजमहल के दीदार की चाहत पर्यटकों को बड़ी संख्या में एएसआई ऑफिस खींच लाई। सुबह से यहां रात्रि दर्शन के टिकट खरीदने के लिए लोगों की लंबी लाइन लग गई है।
शरद पूर्णिमा रविवार को है। इस दिन चांद धरती के नजदीक होता है। इसके चलते जब उसकी किरणेें ताज के धवल संगमरमरी हुस्न पर पड़ती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे जमीं पर जन्नत उतर आई हो। इस बार माह में पांच के बजाय चार दिन ही ताज रात्रि दर्शन शनिवार रात शुरू होंगे। शनिवार को रविवार के रात्रि दर्शन के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के माल रोड स्थित कार्यालय पर लंबी कतार लग गई। वहीं इससे पूर्व शुक्रवार सुबह 10 बजे से शनिवार को होने वाले रात्रि दर्शन के टिकटों की बिक्री हुई। दोपहर दो बजे तक ही सभी टिकट बिक गए। इससे लाइन में लगे जिन लोगों को टिकट नहीं मिल सके, वो मायूस नजर आए। एक दिन में अधिकतम 400 सैलानी रात 8:30 से 12:30 बजे की अवधि में ताज देख सकते हैं। उन्हें 50-50 के बैच में आधे घंटे के लिए वीडियो प्लेटफार्म से रात में ताज दिखाया जाता है। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि शनिवार के लिए रात्रि दर्शन के सभी टिकटों की बिक्री हो गई है।
क्या है चमकी
शरद पूर्णिमा (फुल मून) पर चंद्रमा की किरणों जब ताजमहल पर पड़ती हैं तो उसका सौंदर्य दमक उठता है। ताज पर पच्चीकारी में जड़े कीमती पत्थर चमक उठते हैं। चमकी पर अब भले ही ताज केवल चार घंटे लिए खुलता हो, लेकिन पूर्व में यह पूरी रात खुलता था। वर्ष 1984 से पूर्व तक ताज में चमकी देखने पर कोई बंदिश नहीं थी। तब मुख्य मकबरे पर रेलिंग के पत्थर हटाकर लकड़ी का रैंप बनाया जाता था। उससे सैलानी ऊपर जाते थे। वर्ष 1984 में सुरक्षा कारणों से ताज रात्रि दर्शन बंद कर दिया गया था।