अब हुई ताजनगरी की वायु गुणवत्ता संतोषजनक, जानिए क्या रहा आंकड़ा Agra News
बरसात के कारण शहर में एक्यूआई पहुंचा 94 पर। पिछले एक हफ्ते में सबसे निचले स्तर पर आया सूचकांक।
आगरा, जागरण संवाददाता। जनवरी की बरसात ने फसलों को बेशक नुकसान पहुंचाया हो लेकिन शहर की वायु गुणवत्ता को संतोषजनक स्थिति में पहुंचा दिया है। पिछले एक हफ्ते में शुक्रवार को शहर का एक्यूआई लेवल 94 दर्ज किया गया। गुरुवार को एक्यूआई 174 था। हवा में घुले सूक्ष्म कणों का आंकड़ा भी गुरुवार के मुकाबले नीचे आया।
10 जनवरी को शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 171 था। 11 जनवरी को 265, 12 जनवरी को 325, 13 जनवरी को 326, 14 जनवरी को 314, 15 जनवरी को 174 दर्ज किया गया था। इससे पहले छह जनवरी को एक्यूआई 318 भी रहा था। छह जनवरी को ही पीएम 2.5 यानि अति सूक्ष्म कणों की संख्या 500 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 0-50 एयर क्वालिटी इंडेक्स को अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब और 301-400 बहुत खराब स्थिति मानी जाती है।
शुक्रवार को हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 134 प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई तो नाइट्रो ऑक्साइड की मात्रा 79 प्रति क्यूबिक मीटर रही। अति सूक्ष्म कणों की अधिकतम मात्रा 172 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और सल्फर डाइऑक्साइड अधिकतम मात्रा 63 प्रति क्यूबिक मीटर रही। वायु में अति सूक्ष्म कणों की मात्रा में एक ही दिन में गिरावट दर्ज की गई है। गुरुवार को यही मात्रा 248 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी।
लेना होगा सबक
दीपावली के बाद से लगातार शहर मेंं प्रदूषण का स्तर ऊंचा ही रहा है। इस पूरी अवधि में दो या तीन दिन ही ऐसा हुआ, जब हालात सामान्य हुए। शुक्रवार को भी प्रदूषण नियंत्रित स्थिति में रहा। गौर करने वाली बात ये है कि जब-जब प्रदूषण का स्तर सामान्य हुआ, उस अवधि में बारिश हुई है। बारिश की नमी खत्म होने के साथ ही प्रदूषण भी उछाल लगाता है। यदि बेहतर आबोहवा में सांस लेना चाहते हैं तो हालात सुधारने में नागरिकों को भी पहल करनी होगी। धूल-धुआं पर नियंत्रण रखा जाए।
छिड़काव है जरूरी
दिल्ली और आगरा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए सरकारी निर्माण कार्यों के दौरान छिड़काव कराने के आदेश दिए थे। नगर निगम ने कुछ दिन तो इस पर अमल किया, उसके बाद छिड़काव बंद हो गया। हाईवे पर वाहनों की धूल और राजस्थान से आने वाली धूल भरी हवाओं को नियंत्रण में रखने के लिए शहर के सीमा क्षेत्र में पेड़ों की कतार और पानी का प्रबंध करने के सुझाव पूर्व में पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं भी दे चुकी हैं।