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कृषि में भी न भुलाया जाएगा साल 2020, खूब झेली टिड्डी और रोगों की मार

लाकडाउन में सब्जियों को खेतों में जोतना पड़ा तो दशहरी आम भी चेंपा की चपेट में आ गया। फाल आर्मी वर्म ने बाजरा की बालियों का रस चूसा तो दूसरी मुश्किले आई। जून से लेकर जुलाई तक टिड्डियों के आतंक ने आगरा के किसानों को खूब सताया।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 05:03 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 05:03 PM (IST)
कृषि में भी न भुलाया जाएगा साल 2020, खूब झेली टिड्डी और रोगों की मार
जून से लेकर जुलाई तक टिड्डियों के आतंक ने आगरा के किसानों को खूब सताया।

आगरा, जागरण संवाददाता। वर्ष 2020 कृषि क्षेत्र के लिए कोई खास उपलब्धि तो नहीं लाया, लेकिन फसलों को टिड्डी और रोगों ने सताया। लाकडाउन में सब्जियों को खेतों में जोतना पड़ा तो दशहरी आम भी चेंपा की चपेट में आ गया। फाल आर्मी वर्म ने बाजरा की बालियों का रस चूसा तो दूसरी मुश्किले आई। इस बीच तीन लाख किसानों के खाते में सम्मान निधि आई, तो चेहरे पर मुस्कान भी छाई। कागजों में चल रही अंतरराष्ट्रीय अालू केंद्र की शोध शाखा के धरातल पर उतरने की नए साल से उम्मीदे हैं।

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आलू किसानों को मिले बेहतर दाम

लाकडाउन से अनलाक की शुरुआत तक हरी सब्जियों को बाजार नहीं मिला। कुछ सब्जियां खेतों में सड़ गईं, जो किसान थोक मंडी लेकर पहुंचे उन्हें भी लागत से कम दाम मिला। कई बार किसान मंडी में हरी सब्जियां फेंककर चले गए। इस दौरान आलू (राजा) ने कब्जा जमाए रखा। बाहर की आवक कम होने और शीतगृह से निकासी कम होने से धीरे-धीरे दामों में उछाल आना शुरू हुआ और एक हजार से 1600 रुपये पैकेट (प्रति 50 किलोग्राम) पहुंच गया है। इस बीच कर्नाटक, गुजरात की फसल भी नहीं आई। फुटकर बाजार में आलू 50 रुपये का आंकड़ा पार कर लंबे समय तक टिका रहा। नवंबर में वेबर की फसल ने राजा के तेवर ढीले किए और थोक दाम आठ रुपये किलो पर आ गए।

जब बाजरा को फाल आर्मी वर्म ने सताया

सब्जियों की बर्बादी और गेहूं, सरसों को बेहतर दाम नहीं मिलने से परेशान हो चुके किसानों के सामने नया संकट खड़ा हुआ था। बाजरा की फसल में फाल आर्मी वर्म लगा और बालियों का रस चूस लिया। जिले में 1.31 लाख हेक्टेयर में बाजरा उत्पादन होता है। किसानों ने 30 फीसद फसल बर्बाद होने का दावा भी किया था।

जांच की आंच में आए थे पांच यूरिया विक्रेता

सूबे में 30 फीसद यूरिया अधिक खपत होने पर शासन ने सभी जिलों के 20-20 सर्वाधिक यूरिया क्रय करने वाले किसानों की सूची भेज उक्त के विक्रेताओं की जांच के आदेश दिए थे। यूरिया बेचने में गड़बड़ी करने वाले विक्रेताओं की जांच में सात विक्रेताओं के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए। विक्रेताओं ने ऐसे किसानों के नाम यूरिया बेच दिया, जो भूमिहीन थे। एक विक्रेता ने अपनी पत्नी, बेटी के नाम चढ़ा कर यूरिया बेच दिया था। कुछ ऐसे भी किसान थे, जिनके नाम ज्यादा यूरिया चढ़ा था, लेकिन उन्होंने लिया कम था।

तीन लाख किसानों के खाते में आया सम्मान

जिले में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 2.59 लाख किसान हैं। किसानों के बालिग बच्चों को भी पात्र मानते हुए सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन की छूट दी थी, जिसके बाद लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 2.77 लाख पहुंच गई। इस संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। सम्मान निधि की सातवीं किश्त शासन ने जारी कर दी है, 3.02 लाख किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये धनराशि पहुंच रही है।

नए साल से आलू किसानों को उम्मीद, खुलेगी शोध शाखा

आंकड़ों के अनुसार सूबे में कुल उत्पादित आलू का 27 फीसद आगरा मंडल में होता है। इसके बाद भी इसकी खपत के लिए किसानों को बाजार की तलाश में जूझना पड़ता है, तो कई बार फसल लागत मूल्य भी देकर नहीं जाती है। कुल उत्पादन में से हर वर्ष 10 से 15 फीसद तक आलू को किसान फेंकने को मजबूर हो जाते हैं। हर तीसरे वर्ष आलू की बर्बादी से कराहा उठने वाले किसानों के दर्द को दूर करने के लिए प्रयास हो रहे हैं, लेकिन ये कागजों से धरातल पर नहीं आ पा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (इंटरनेशल पटेटो सेंटर) की शोध शाखा आगरा में खुलवाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। किसानों को उम्मीद हैं कि नए वर्ष में उनका सपना पूरा होगा। शोध शाखा के लिए सींगना में उद्यान विभाग की 10 हेक्टेयर जमीन प्रस्तावित है। शोध शाखा खुलने से जहां नई प्रजातियों और स्थानीय प्रजातियों पर बेहतर काम हो सकेगा। वहीं किसानों को बेहतर बीज उत्पादन का प्रशिक्षण भी मिल सकेगा।

शहर से लेकर देहात तक रहा टिड्डियों का आतंक

जून से लेकर जुलाई तक टिड्डियों के आतंक ने आगरा के किसानों को खूब सताया। खेरागढ, पिनाहट, बरौली अहीर क्षेत्र में खेतों में घुस फसल को नुकसान पहुंचाया तो आगरा में हुए हमले ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया था। 29 जून को आगरा में टूंडला की ओर से घुसे टिड्डी दल ने पालीवाल पार्क, वाटर वक्र्स सहित कई स्थानों पर पेड़ों को जमकर नुकसान पहुंचाया। 100 से अधिक पेड़ों की मोटी टहनियां टूटकर गिर गई, तो अधिकतर की पत्तियों को नुकसान पहुंचाया। टिड्डियों पर विभिन्न संसाधनों से पूरी रात स्प्रे कराया गया। 30 जून को तड़के दल हरकत में आया और उड़ान भरने लगा इसके बाद पूरे शहर में टिड्डियां छा गई। भगवान टाकीज, खंदारी, विजय नगर, बजीरपुरा, संजय प्लेस, सूरसदन, शास्त्रीपुरम सहित दूसरे क्षेत्रों में टिड्डियां उड़कर पहुंचने लगी। ऊंची बिल्डिंगों की बालकनी में पहुंच गई, तो कुछ फ्लैट में भी घुस गई। दिन निकलते ही लोग भयभीत हो गए और झुंड में से आई टिड्डियों को भगाने में जुट गए। कुछ देर बाद दल दूसरे जिले की ओर उड़ान भर गया।

चेंपा ने छीनी दशहरी आम की रंगत

दशहरी आम के खास शौकीनों को इस बार निराशा रही है। हरे से पीले होते हुए महक बिखेरनी वाले आम पकने से पहले चेंपा छोड़ने के कारण काले दागी हो गए। इससे आम की रंगत, गुणवत्ता दोनों प्रभावित हुई, तो बाजार भी कम मिला। सिकंदरा मंडी में उप्र के दर्जनभर जिलों से आम की आवक होती है। इसमें उन्नाव, बुलंदशहर, अलीगढ़, मालिहाबाद, सीतापुर, मेरठ, सहारनपुर, कायमगंज, सिकंदरा राऊ से आम की अावक होती है। सभी स्थानों का आम प्रभावित था।


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