फर्जी आइआरएस संग महिला मित्र भी जेल भेजी
आगरा: नौकरी के नाम पर ठगी के मामले में पकड़े गए फर्जी आइआरएस अधिकारी के साथ पुलिस ने उसकी प्रेमिका को भी गिरफ्तार कर लिया है।
आगरा: नौकरी के नाम पर ठगी के मामले में पकड़े गए फर्जी आइआरएस अधिकारी के साथ पुलिस ने उसकी महिला मित्र को भी गिरफ्तार कर लिया। उसने एसएसपी को फोन कर खुद को आइएएस बताया था। पुलिस का दावा है कि युवक के फर्जीवाड़े में वह भी साथ थी। जबकि युवती ने खुद को बेगुनाह बताते हुए पुलिस के आरोपों को गलत बताया है। उसने आइएएस की मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू दिया है।
हरीपर्वत क्षेत्र में वजीरपुरा निवासी फैलद्दीन पुत्र माजउद्दीन ने न्यू आगरा थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राजस्व विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर उनसे 27 हजार रुपये की ठगी हुई है। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने रविवार को मैनपुरी के ब्यौंती खुर्द निवासी मितेश यादव पुत्र अक्षय यादव को गिरफ्तार किया था। एसपी सिटी प्रशांत वर्मा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि मीतेश फर्जी कार्ड दिखाकर खुद को आइआरएस अधिकारी बता रहा था। वहीं उसकी महिला मित्र दयालबाग निवासी अंशुल ने एसएसपी को कॉल कर खुद को आइएएस अधिकारी बताया था। उनसे कहा कि पुलिस उनके दोस्त को बिना किसी वारंट के पकड़कर ले जा रही है। एसएसपी ने उससे पूछा कि आप कब सलेक्ट हुई और रोल नंबर क्या है? रोल नंबर बताने पर एसएसपी ने सर्च किया तो उसके बारे में जानकारी नहीं मिली। इसी के साथ झूठ पता चल गया। मीतेश के पास से आइआरएस का फर्जी पहचान पत्र भी मिला है। इसमें उसका पद असिस्टेंट कमिश्नर डायरेक्ट टैक्स दर्शा रखा है। पुलिस ने उससे 27 हजार रुपये, फर्जी पहचान पत्र, नीली बत्ती और स्विफ्ट डिजायर कार बरामद की है। उधर, अंशुल का कहना है कि उसने कोई धोखाधड़ी नहीं की है। उसने आइएएस की मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू दिया है। वह वेटिंग में है। अभी तक लिस्ट में उसका नाम नहीं आया है। यही जानकारी उसने एसएसपी अमित पाठक को फोन पर दी थी। गलतफहमी में पुलिस ने उसका कॅरियर चौपट करने के उद्देश्य से फर्जीवाड़े में फंसाया है। पुलिस ने दोपहर बाद दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। यहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। गिरफ्तार करने वाली टीम में इंस्पेक्टर न्यू आगरा अनुज कुमार, एसआइ अवनीश कुमार त्यागी, एसआइ मनोज शर्मा, कांस्टेबल शाकिर, सतेंद्र, उमेश शामिल रहे। युवती और उसके परिजन भी समझते थे युवक को आइआरएस
मीतेश ने फर्जीवाड़े का जाल इस तरह फैलाया था कि उसकी महिला मित्र और उसके परिजन भी उसे आइआरएस अधिकारी समझते थे। युवती से उसकी मुलाकात एक साल पहले दिल्ली में तैयारी के दौरान हुई थी। इसके बाद वह संपर्क में आ गया। नगला पदी में उसका परिवार रहता है। मगर, वह अक्सर युवती के घर ही चला जाता था। अपनी पोस्टिंग दिल्ली में बताता था। मीतेश के साथ बेटी की गिरफ्तारी के बाद अंशुल के मां-बाप थाने में रो रहे थे। उनका कहना था कि पुलिस ने उनकी बेटी को गलत फंसाया है। हो सकता है उससे फोन करने में कोई गलती हुई हो, लेकिन उसने कोई ठगी नहीं की। मोबाइल से मिले फोटो में लग रही है अधिकारी
पुलिस ने अंशुल के मोबाइल से फोटो हासिल किए हैं। उनमें से कुछ फोटो संघ लोक सेवा आयोग के ऑफिस के बाहर और कुछ अंदर के हैं। एक फोटो अशोक स्तंभ के साथ है तो दूसरे में मोहरें दिख रही हैं। इन फोटोग्राफ्स में वह अधिकारी लग रही है। पुलिस का दावा है कि ये लोगों को झांसे में लेने के लिए खींचे गए हैं। जबकि अंशुल का कहना है कि वह यूपीएससी के कार्यालय में गई थी। तभी फोटो खींच लिए थे। मोहरें और अशोक स्तंभ का फोटो वहां म्यूजियम का ही है। इसमें कोई अपराध नहीं है।