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मेरा स्कूल: स्वयं के प्रयासों से बदले विद्यालय के हालात

बिचपुरी ब्लाक नगला बसुआ में स्थित है अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय विभागीय सहयोग और स्वयं से कराया विद्यालय का कायाकल्प

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 07:33 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 07:33 PM (IST)
मेरा स्कूल: स्वयं के प्रयासों से बदले विद्यालय के हालात
मेरा स्कूल: स्वयं के प्रयासों से बदले विद्यालय के हालात

आगरा, जागरण संवाददाता। वर्ष 2018 में जब मुझे अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में तैनाती मिली, तो वहां की स्थिति दयनीय थी। संसाधनों के नाम पर न शौचालय थे, न पानी, बिजली और विद्यार्थियों के लिए अन्य कोई सुविधा। चाहती तो मैं भी औपचारिकता निभाते हुए नौकरी कर सकती थी, लेकिन मैंने प्रयास किया, मुख्य विकास अधिकारी को स्थिति बताई, तो प्रयास रंग लाए और आज मेरे विद्यालय में आदर्श विद्यालय वाली सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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यह कहानी है बिचपुरी ब्लाक, नगला बसुआ के अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय की। प्रधानाध्यापक जागृति शर्मा बताती हैं कि अप्रैल 2018 में जब उन्होंने विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में चार्ज लिया, तब विद्यालय की स्थिति दयनीय थी। उन्हें मिलाकर वहां सिर्फ तीन शिक्षक थे। शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, बाउंड्रीवाल, कक्षाओं में विद्युत व्यवस्था व पंखे भी नहीं थे। इन हालात को देखकर उन्हें थोड़ी निराशा जरूर हुई, लेकिन उन्होंने हालात से समझौता करने की जगह मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय से संपर्क किया।

सौर ऊर्जा से दमकता है विद्यालय

उनके प्रयासों का असर यह हुआ मुख्य विकास अधिकारी ने विद्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने निर्देश देकर पहले शौचालय निर्माण कराया, इसके बाद जून ग्रीष्मकालीन अवकाश में नेडा की ओर से सौर ऊर्जा सिस्टम लगवाया, जिससे सबमर्सिबल पंप, आरओ वाटर प्लांट, कक्षाओं में सौर ऊर्जा से चलने वाले पांच पंखे लगवाए। विद्यालय की कंपोजिट ग्रांट व स्वयं के प्रयास से आज विद्यालय की हर कक्षा में तीन से चार पंखे है। विद्यार्थियों के पीने के लिए आरओ का पानी, बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, इंटरलाकिग टाइल्स लगा कैंपस हैं।

क्षेत्र में आदर्श बना विद्यालय

वह बताती हैं कि जब उन्होंने चार्ज लिया, तो विद्यालय में 100 से कम विद्यार्थियों पंजीकृत थे। लेकिन आज सुविधाएं व पढ़ाई का माहौल मिलने से पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या 225 तक पहुंच गई है।शिक्षामित्र सहित सात शिक्षकों का स्टाफ है। विद्यार्थी बैंच पर बैठकर पढ़ते हैं, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से फिलहाल फर्नीचर की कमी है, जिसे दूर करने के लिए वह विभाग और समाजसेवी संस्थाओं के संपर्क में हैं। हालांकि थोड़ी विडंबना है कि विभाग ने जिले के सभी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में फर्नीचर उपलब्ध कराया है, लेकिन अंग्रेजी माध्यम होते हुए भी सिर्फ मेरे विद्यालय में फर्नीचर नही भेजा गया है।


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