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अस्पतालों का खेल, विजिट चार्ज वसूला लेकिन टीडीएस जमा नहीं किया

एक हजार से लेकर 1500 रुपये तक वसूला जा रहा है चार्ज बिलों में नहीं अंकित होता है जीएसटी नंबर मरीजों के तीमारदारों की काटी जा रही है जेब प्रशासन के पास हर दिन पहुंच रही हैं शिकायतें

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 05:15 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 05:15 AM (IST)
अस्पतालों का खेल, विजिट चार्ज वसूला लेकिन टीडीएस जमा नहीं किया
अस्पतालों का खेल, विजिट चार्ज वसूला लेकिन टीडीएस जमा नहीं किया

जागरण संवाददाता, आगरा : आवास विकास कालोनी सेक्टर चार निवासी एमएस खान मार्च के अंतिम सप्ताह में दिल्ली गेट स्थित एक अस्पताल में भर्ती हुए। आक्सीजन लेवल 70 था। फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया था। सात दिनों के बाद जब एमएस खान डिस्चार्ज हुए तो स्वजन बिल देखकर चौंक गए। अस्पताल का बिल पांच लाख रुपये था। फिजीशियन और चेस्ट रोग विशेषज्ञ का विजिट चार्ज 1500-1500 रुपये जोड़ा गया था। पर्चे में कहीं पर भी जीएसटी नंबर अंकित नहीं था। तीमारदार राम बहादुर ने बताया कि डाक्टर का विजिट चार्ज को लेकर जब सवाल पूछा गया तो अस्पताल प्रशासन का कहना था कि डाक्टर आनकाल बुलाए गए। विजिट चार्ज पर टीडीएस कटा या नहीं, इस सवाल का जवाब अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया। - कमला नगर निवासी बीएस अग्रवाल की अप्रैल के दूसरे सप्ताह में तबीयत खराब हुई। स्वजन ने ट्रांस यमुना के एक अस्पताल में भर्ती कराया दिया। अस्पताल में डाक्टरों की सूची चस्पा थी लेकिन इसके बाद भी बिल में डाक्टर का विजिट चार्ज एक हजार रुपये वसूला गया। यहां तक पर्चे में जीएसटी नंबर नहीं अंकित था। बीएस अग्रवाल के छोटे भाई विजय कुमार ने बताया कि तीन दिन भर्ती रखने के बाद अस्पताल प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए। दो लाख रुपये का बिल थमा दिया। नेशनल हाईवे-19 स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पर भी अस्पताल प्रशासन ने तीन डाक्टरों का विजिट चार्ज वसूला। अस्पतालों में खेल के यह तो दो ही उदाहरण हैं। जिला प्रशासन के पास सप्ताह भर के भीतर दस से अधिक शिकायतें पहुंच चुकी हैं। मरीजों के तीमारदारों की जेब काटी जा रही है। नियमानुसार अस्पताल प्रशासन और डाक्टर के बीच अनुबंध होता है। जो भी सूची चस्पा की जाती है। डाक्टर आन काल आएंगे या फिर संबद्ध रहेंगे। इसकी भी जानकारी दी जाती है। अगर मरीज के इलाज के लिए डाक्टर विजिट पर आते हैं तो बिल पर इसका जिक्र होना चाहिए। जो भी चार्ज वसूला जाता है। उस पर दस फीसद टीडीएस काटकर उसे संबंधित डाक्टर के खाते में जमा करना चाहिए। इसका पूरा दस्तावेज रखने होते हैं। इसी तरह से हर पर्चे में जीएसटी नंबर अनिवार्य रूप से अंकित होना चाहिए, लेकिन कोविड संक्रमण के दौरान अस्पताल संचालकों ने खेल किया। पूरा बिल नहीं दिया गया और अतिरिक्त चार्ज भी वसूले गए। - अस्पतालों के खेल की शिकायत मिली है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी मिलने पर अस्पताल संचालकों पर सख्त कार्रवाई होगी।

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प्रभु एन सिंह, डीएम


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