हर डस्टबिन का देना होगा हिसाब
आगरा : नगर निगम में डस्टबिन घोटाले में कई अफसर फंसेंगे।
जागरण संवाददाता, आगरा : नगर निगम में डस्टबिन घोटाले में कई अफसर फंसेंगे। डस्टबिन के वितरण में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है। वहीं नगर निगम के सदन में हर डस्टबिन का हिसाब देना होगा। अगस्त के पहले सप्ताह में होने जा रहे सदन में डस्टबिन घोटाले पर भी चर्चा होगी।
गेल इंडिया ने कारपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी के तहत दस करोड़ रुपये दिए थे। शहर के लिए एक लाख डस्टबिन की खरीद होनी थी, लेकिन निगम के अफसरों ने खेल किया। मंडलायुक्त के. राममोहन राव की जांच में निगम के कई अफसर फंसेंगे। डस्टबिन घोटाले में नगर निगम के अफसर खुद की गर्दन बचाने में लगे हुए हैं। डस्टबिन कहां गए, इस सवाल का जवाब अफसरों के पास नहीं है।
वरिष्ठ पार्षद धर्मवीर सिंह ने बताया कि अगले माह नगर निगम का सदन होने जा रहा है। डस्टबिन घोटाले का मुद्दा उठाया जाएगा। हर डस्टबिन का हिसाब देना होगा। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में निगम फेल
वरिष्ठ पार्षद शिरोमणि सिंह का कहना है कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में नगर निगम फेल साबित हो रहा है। निजी कंपनी द्वारा सिर्फ 12 हजार घरों से कूड़ा कलेक्ट किया जा रहा है। लोगों से अधिक मात्रा में यूजर चार्जेज लिया जा रहा है।
सीएम से भी शिकायत
नगर निगम में डस्टबिन घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गई है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है।
परेशान हैं पार्षद
डस्टबिन की आस में नगर निगम में हर दिन दो से तीन लोग पहुंचते हैं। अफसरों द्वारा लोगों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि पार्षदों को डस्टबिन भेज दिए गए हैं। जबकि अधिकांश पार्षदों को अभी तक डस्टबिन नहीं मिले हैं।