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शासन ने मांगा खाली पदों का ब्योरा, दिन बहुरने की फिर हुई उम्मीद

संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय शिक्षक-कर्मचारियों की कमी से हुए खाली मंडल के 2

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 06:22 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 06:22 AM (IST)
शासन ने मांगा खाली पदों का ब्योरा, दिन बहुरने की फिर हुई उम्मीद

आगरा, जागरण संवाददाता। बंद होने की कगार तक जा पहुंचे मंडल के संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालयों को फिर से संजीवनी मिल सकती है। शासन ने इनमें रिक्त चल रहे शिक्षक व प्रधानाचार्यों के पदों का ब्योरा मांगा है। वर्तमान स्थिति यह है कि मंडल के 28 में से करीब 11 विद्यालय शिक्षक विहीन हैं, जिनमें से जिले के तीन विद्यालय लगभग बंद हो चुके हैं।

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मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ने मंडल के सभी जिलों से सूचना जुटाकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजी है। उन्होंने बताया कि बोर्ड ने मंडल के अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालय और महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के स्वीकृत, कार्यरत व रिक्त पदों का व्यवस्थित ब्योरा मांगा था। लिहाजा मंडल के सभी जिलों से सूचनाएं जुटाकर शासन को भेज दी गई हैं। संभावना है कि शासन रिक्त चल रहे पदों को भरने के लिए योजना पर काम कर रहा है। फिलहाल यह है स्थिति :

मंडल में सबसे ज्यादा 18 संस्कृत विद्यालय मथुरा में हैं। यहीं सबसे ज्यादा शिक्षकों की रिक्ति भी हैं। यहां इन विद्यालयों में प्रधानाचार्य, शिक्षक व कर्मचारियों के 67 पद रिक्त हैं। वहीं फीरोजाबाद के तीन विद्यालयों में प्रधानाचार्य, शिक्षक व कर्मचारियों के 20 और मैनपुरी के दो विद्यालयों में इनके 13 पद रिक्त हैं। वहीं आगरा जिले के तीन विद्यालय शिक्षक कर्मचारियों के न होने के कारण बंद होने के करीब पहुंच चुके हैं, जबकि दो संचालित विद्यालयों में भी महज एक-दो शिक्षक ही कार्यरत हैं।

शिक्षक नेता निलंबन मामले में शिक्षकों की बैठक

आगरा, जागरण संवाददाता। राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ के प्रदेश संयोजक व शिक्षक नेता मुकेश डागुर के निलंबन के बाद विवाद बढ़ता दिखाई दे रहा है। मामले के विरोध में जिले के शिक्षक सड़क पर उतरकर पैदल मार्च निकाल सकते हैं। आंदोलन की रणनीति तैयार करने को लेकर शिक्षक संगठन ने रविवार को पश्चिमपुरी में बैठक भी बुलाई गई है।

संगठन के मंडलाध्यक्ष कीर्तिपाल सिंह का कहना है कि इस कार्रवाई से शिक्षकों में रोष है और वह इसके खिलाफ हैं। सभी इसे शिक्षकों के लिए चुनौती मान रहे है। लिहाजा शिक्षक शिक्षाधिकारियों के शोषण, दु‌र्व्यवहार और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होने की तैयारी में हैं। वह संगठनात्मक राजनीति से अलग, शिक्षक हित में एकजुट होने का आह्वान कर रहे हैं, ताकि कलक्ट्रेट पर आंदोलन कर एकजुटता दिखाई जा सके।


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