सशक्तिकरण के नाम पर बढ़ा महिलाओं पर बोझ
आगरा: बदलते परिवेश में नारी की भूमिका बदली हैं। साथ ही पहले की तुलना में चुनौतियां समाने आ रही है।
आगरा: बदलते परिवेश में नारी की भूमिका बदली हैं। साथ ही पहले की तुलना में चुनौतियां समाने आ रही हैं। सशक्तिकरण के नाम पर भी बोझ बढ़ा है। इस विषय पर रविवार को कैंट रोड स्थित होटल ग्रांड में काव्य पाठ और विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। संरचना सोशल फाउंडेशन और ताज लिटरेचर क्लब के कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
कार्यक्रम में राजबब्बर ने बताया कि आगरा साहित्यकारों व कलाकारों की जमीन रही है। नजीर, गालिब इसी चौखट से निकलकर गए हैं। सूर हमारी जमीं पर सबसे ऊंचे माने गए। यह शहर सीखने का शहर है। जिंदगी में जो ताकत मिलती है, उसकी प्रेरणा मां से मिलती है। इसके लिए लगन और श्रद्धा की जरूरत है।
सुभाषिनी अली ने बताया कि शहर की प्रतिभाएं मुंबई व अन्य जगह चली गई हैं। समाज को बदलने वाले लोग प्रदेश से अन्य प्रदेशों में चले गए। जब भी कोई भाषा सरकारी मदद पर निर्भर होती है, वह आगे नहीं बढ़ पाती। सशक्तीकरण के नाम पर महिलाओं पर बोझ पहले से अधिक बढ़ा है। वर्तमान में महिलाओं के लिए तरह-तरह के काम करने की जरूरत है। जिस प्रणाली में हम जीते हैं, उस संविधान में संशोधन की जरूरत है।
शुभारंभ मुख्य अतिथि, संस्था अध्यक्ष सुभाषिनी अली और फाउंडेशन अध्यक्ष संजीव अरोड़ा ने की। डॉ. शशि तिवारी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कवि नीरज व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी गई। संचालन विनय पतसारिया और अवनीश अरोड़ा ने किया। पं. श्याम बाबू शर्मा ने सम्मान के लिए बधाई दी। सरोज गौड़ व पवन आगरी ने विचार व्यक्त किए। डॉ. शशि तिवारी और डॉ. मधु भारद्वाज को सम्मानित किया गया। साधना भार्गव, डॉ. मुक्ता भदौरिया, नरेश चंद्रा, ऋचा गुप्ता, दीक्षा ने काव्य पाठ किया। इस दौरान विवेकिनी मिश्रा, अरूण डंग, भावना वरदान शर्मा, डॉ. वेद भारद्वाज, रामकुमार शर्मा, प्रीति उपाध्याय, राजकुमारी शर्मा आदि मौजूद रहे।