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Relaxation: कोराेना से उबरने को Agra Shoe Industry ने निकाला ये रास्ता, मिलेगी राहत

Relaxationबंद नहीं हाेंगी आगरा की जूता फैक्ट्रियां काम के दिन हो सकते हैं कम। जूता निर्यातकों को कोरोना से उबारने को हुई एफमेक की बैठक।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 01:58 PM (IST)
Relaxation: कोराेना से उबरने को Agra Shoe Industry ने निकाला ये रास्ता, मिलेगी राहत
Relaxation: कोराेना से उबरने को Agra Shoe Industry ने निकाला ये रास्ता, मिलेगी राहत

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा फुटवियर्स मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर (एफमेक) की बैठक सोमवार को जूता निर्यातकों को कोरोना के दुष्प्रभाव से उबारने को की गई। इसमें जूता उद्योग को मंदी से सबसे पहले उबरने वाले प्रमुख उद्योगाें में बताया गया।

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एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि दुनिया कोविड की त्रासदी से गुजर रही है, लेकिन अन्य उद्योगों की अपेक्षा जूता उद्योग बेहतर स्थिति में है। निर्यात व घरेलू मांग 30-35 फीसद कम हो सकती है, मगर हम इस स्थिति से उबरने की उम्मीद करते हैं। अभी बंदी की कोई घोषणा नहीं की गई है, न की जाएगी। उद्यमी अॉर्डर के अनुसार निर्णय लेंगे। ओवर टाइम नहीं होगा। काम के दिन मांग के अनुसार कम किए जा सकते हैं। कुछ इकाइयां अस्थायी छंटनी कर सकती हैं, लेकिन बंदी की कोई संभावना नहीं है। एफमेक के चार्टर अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि आगरा के जूता उद्योग की पूंजी यहां की पारंपरिक कारीगरी है। जूता उद्योग प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर नहीं है। आगरा के बड़ी संख्या में लोगों को जूता उद्योग से रोजगार मिला हुआ है। मंदी से सबसे पहले जो उद्योग उबरकर आएंगे, उनमें जूता उद्योग प्रमुख होगा। उपाध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने कहा कि लेदर फुटवियर के व्यापार की समस्याएं भरपूर हैं। इस कठिन दौर में कारखाना चालू रखना चुनौतीपूर्ण है।

संयोजक कैप्टन एएस राणा ने कहा कि संकट के काल में स्वयं को बचाते हुए काम को निपुणता के साथ चालू रखने की कला आगरा के छोटे व मध्यम जूता कारखाना संचालकों को आती है। पूर्व में भी कारीगरों का सहयोग लेकर उद्योग को बचाने के साथ आगे बढ़ाया गया है। उपाध्यक्ष राजेश सहगल ने कारीगरों से मनोबल बनाए रखने, कारखाने को आगे बढ़ाने में योगदान देने की बात कही। महासचिव राजीव वासन, सचिव ललित अरोड़ा, सुनील जोशन, विनय सचदेव, मनोज बजाज ने निराश होने के बजाय चुनौतियों के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया। 


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