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बिना किट के खेल रहे खिलाड़ी

जागरण संवाददाता, आगरा: केंद्र व प्रदेश सरकार का ध्यान युवाओं को खेल से जोड़ने पर है। 'खे

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Sep 2017 01:50 AM (IST)Updated: Sat, 02 Sep 2017 01:50 AM (IST)
बिना किट के खेल रहे खिलाड़ी

जागरण संवाददाता, आगरा: केंद्र व प्रदेश सरकार का ध्यान युवाओं को खेल से जोड़ने पर है। 'खेलो भारत अभियान' के तहत भाजयुमो खेल प्रतियोगिताएं करा रहा है। मगर माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा कराई जा रही प्रतियोगिताओं का बुरा हाल है। अफसरों के आयोजनों से दूरी बनाने का खामियाजा खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है। मंडलीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों को किट तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही। इससे वह अलग-अलग रंग की किट में खेलने को मजबूर हैं।

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माध्यमिक शिक्षा विभाग की खेलकूद प्रतियोगिताओं के संचालन को जिला व मंडलीय क्रीड़ा समिति बनी हैं। मंडलीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में जाने वाली जिला स्तरीय व मंडलीय टीमों को किट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला क्रीड़ा समिति की है। मगर इस बार अब तक हुई मंडलीय फुटबाल, हॉकी, मुक्केबाजी आदि प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों को जिला क्रीड़ा समिति ने किट उपलब्ध नहीं कराई। परिणाम यह हुआ कि वह अलग-अलग रंग की किट में आयोजन स्थल पर पहुंचे। टीम स्पर्धाओं में इससे काफी परेशानी हुई। दो दिन पहले मथुरा खेलने गई बालिका फुटबाल टीम की यही स्थिति थी। जबकि सरकारी व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नवीं से बारहवीं कक्षा तक पढ़ने वाले प्रत्येक छात्र से 60 रुपये वार्षिक क्रीड़ा शुल्क लिया जाता है।

जिला क्रीड़ा सचिव डॉ. चतुर सिंह ने बताया कि स्कूलों द्वारा क्रीड़ा शुल्क जमा नहीं कराया गया है। डीआइओएस को इस मामले में जानकारी दे दी गई है।

नहीं मिल रहे प्रमाण-पत्र

जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को प्रमाण-पत्र देने का नियम है। इस बार जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को प्रमाण-पत्र नहीं दिए जा रहे हैं। यही स्थिति विजेता व उपविजेता टीमों को दी जाने वाली शील्ड की है। कुछ स्कूलों ने तो शील्ड दीं, लेकिन बहुत से स्कूलों ने ऐसा नहीं किया।

भत्ते में भी खेल

मंडलीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए खाने का 150 रुपये भत्ता तय है। सूत्रों की मानें तो इसमें खेल किया जा रहा है। खिलाड़ी या तो घर से खाना ले जा रहे हैं या फिर उन्हें सस्ते खाने के पैकेट थमा दिए जाते हैं।


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