एसएन में हो सकेगी जहर की पहचान
आगरा: जहरखुरानी के इलाज के लिए इंतजार नहीं करना होगा। एसएन में ही जहर की पहचान हो सकेगी।
जागरण संवाददाता, आगरा: जहरखुरानी के इलाज के लिए इंतजार नहीं करना होगा। एसएन में ही जहर की पहचान हो सकेगी। इसके लिए जुलाई से टॉक्सिकोलॉजी लैब शुरू होने जा रही है। एसएन के फोरेंसिक विभाग में खुलने जा रही लैब के लिए उपकरण आ गए हैं।
जहर से मौत होने पर विसरा प्रिजर्व कर रखा जाता है। इसे फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेज दिया जाता है। वहां से एक साल बाद भी रिपोर्ट नहीं आती है। इससे केस प्रभावित होता है। इसी तरह से बस और ट्रेन में जहरखुरानी के शिकार मरीज एसएन इमरजेंसी पहुंचते हैं। इन मरीजों को कौन सा जहर दिया गया है, यह लक्षण देखकर पता करना पड़ता है। इससे भी इलाज में समस्या आती है। ऐसे में एसएन के फोरेंसिक विभाग में टॉक्सिकोलॉजी लैब की कवायद चल रही है। अब लैब के लिए हाई परफॉर्मेस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी (एचपीएलसी) आ गया है। इससे किस तरह का जहर इस्तेमाल किया गया है और इसकी मात्रा कितनी है, यह पता चल सकेगा। फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि फोरेंसिक विभाग के साथ ही दो कमरे नई सर्जरी बिल्डिंग में भी लिए गए हैं। यहां लैब स्थापित की जा रही है। एचपीएलसी के लिए डॉक्टर और स्टाफ को ट्रेनिंग दी जानी है। इसके साथ ही टेक्निकल स्टाफ भी नियुक्त किया जाएगा, जुलाई तक लैब शुरू करने के प्रयास हैं। इससे पोस्टमार्टम के केस और जहरखुरानी के मामलों में मदद मिलेगी। यहां जांच होने पर एक सप्ताह में रिपोर्ट आ जाएगी।
आर्सेनिक पाउडर से जहरीली शराब की जांच
सुसाइड के लिए सल्फास, तेजाब सहित केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, हत्या के केस में आर्सेनिक पाउडर सहित टेस्टलेस प्वाइजन का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी जांच लैब में हो सकेगी। वहीं, जहरीली शराब की भी लैब में जांच हो सकेगी। जहर की मात्रा के आधार पर मरीजों की जान बचाने के लिए एंटी डॉट (जहर के प्रभाव को खत्म करना) दिए जाते हैं।